CORONA: भारतीय मूल की गीता रामजी का निधन, जानते हैं उनके बारे में पूरी बात

पूरी दुनिया में तांडव मचा चुका कोरोना वायरस अपने चरम पर हैं। इसके संक्रमण से साउथ अफ्रीका में पांच भारतीय मूल के लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से गीता रामजी पांचवीं हैं। गीता रामजी की गिनती दुनिया के जाने-माने वायरोलॉजिस्ट में होती थी। उन्होंने भारत से हाईस्कूल की पढ़ाई की थी।

Update: 2020-04-01 14:23 GMT

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में तांडव मचा चुका कोरोना वायरस अपने चरम पर हैं। इसके संक्रमण से साउथ अफ्रीका में पांच भारतीय मूल के लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से गीता रामजी पांचवीं हैं। गीता रामजी की गिनती दुनिया के जाने-माने वायरोलॉजिस्ट में होती थी। उन्होंने भारत से हाईस्कूल की पढ़ाई की थी। इसके बाद वो साउथ अफ्रीका में बस गई थीं। बता दें कि वो लगातार कोरोना संक्रमण पर काम कर रही थीं। जानते हैं गीता रामजी से जुड़ी कुछ बातें...

 

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गीता रामजी की पहचान एक युगांडा-दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिक और एचआईवी की रोकथाम में शोधकर्ता के तौर पर थी। गीता रामजी को 2018 में पहचान मिली जब उनके काम के लिए यूरोपीय और विकासशील देशों के क्लिनिकल ट्रायल पार्टनरशिप से 'उत्कृष्ट महिला वैज्ञानिक' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

1970 के दशक में गीता की पर‍वरिश युगांडा में हुई। उन्होंने इंग्लैंड की (University of Sunderland )में दाखि‍ला लेने से पहले भारत में हाई स्कूल तक श‍िक्षा ली थी। फिर साल 1980 में रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में बीएससी (ऑनर्स) के साथ स्नातक किया।

उनका विवाह भी भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी शख्स से हुई। जिसके बाद वो डरबन साउथ अफ्रीका चली गईं। डर्बन में गीता रामजी ने( University of KwaZulu-Natal) के मेडिकल स्कूल के बाल चिकित्सा विभाग में काम करना शुरू कर दिया। इसी दौरान उन्होंने दो बच्चों के मातृत्व का दाय‍ित्व निभाते हुए मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की और बाद में 1994 में पीएचडी पूरी की।

 

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अभी वो (Aurum Institute) में मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी थीं। ये इंस्टीट्यूट एक गैर-लाभकारी एड्स/तपेदिक अनुसंधान संगठन है। इसके अलावा वो दक्षिण अफ्रीकी चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रोकथाम अनुसंधान इकाई की निदेशक भी थीं। साल 2012 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोबायसाइड सम्मेलन में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था। वह लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय और केप टाउन विश्वविद्यालय में मानद प्रोफेसर भी थीं। बता दें कि 31 मार्च को कोविड 19 के संक्रमण से उनकी मौत हो गई।

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