Vodafone को मिली जीत , भारत सरकार के खिलाफ करोड़ों का केस जीता

ब्रिटिश की टेलीकॉम कंपनी वोडाफ़ोन ने शुक्रवार को भारत सरकार के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता जीती हैं। करीब 20 हज़ार करोड़ का ये मामला रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का हैं।

Update: 2020-09-25 11:57 GMT
Vodafone को मिली जीत , भारत सरकार के खिलाफ करोड़ों का केस जीता

ब्रिटिश की टेलीकॉम कंपनी वोडाफ़ोन ने शुक्रवार को भारत सरकार के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता जीती हैं। करीब 20 हज़ार करोड़ का ये मामला रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का हैं। आपको बता दें, कि इस केस में टेलीकॉम कंपनी वोडाफ़ोन के पक्ष में फैसला सुनाया गया। ट्रिब्यूनल ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहां कि वोडाफ़ोन पर भारत सरकार डाली गयी कई कर देनदारी भारत और नीदरलैंड के बीच के निवेश समझौता का उल्लंघन है।

ये हैं पूरा मामला

खबरों की मानें तो शुक्रवार को बीएसई (BCE) पर वोडाफोन आइडिया के शेयर 12% बढ़कर। 10.20 पर बंद हुए। 2007 में, भारतीय I-T विभाग ने कैपिटल गेन टैक्स की मांग करते हुए नोटिस मारा। 2009 में वोडाफोन की 11 बिलियन डॉलर की हचिसन टेलीकॉम हिस्सेदारी के अधिग्रहण से संबंधित तत्कालीन सरकार द्वारा 11,000 करोड़ की कर मांग उठाई गई थी।

आपको बता दें कि भारत सरकार और वोडाफोन के बीच यह मामला 20,000 करोड़ रुपए के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को लेकर था। वोडाफोन और सरकार के बीच कोई सहमति ना बन पाने के कारण 2016 में कंपनी ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रुख किया था। लंबी सुनवाई के बाद वोडाफोन को राहत मिली है।

SC ने भी हित में फैसला लिया

ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और कोर्ट ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद तब के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट 2012-13 पेश करते हुए आयकर कानून 1961 को रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के साथ संशोधित करने का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव इसलिए रखा गया ताकि वोडाफोन जैसे विलय व अधिग्रहण के विदेश में होने वाले सौदों पर टैक्स लगाया जा सके। इसके बाद वोडाफोन ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया।

10 साल की छूट

आपको बता दें, इस फैसले के जेतने के बाद भी वोडाफोन इससे ज्यादा खुश नज़र नहीं आ रही है। ये फैसला ऐसे समय में आया है जब वोडाफोन आइडिया एडजस्ट ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया की मार झेल रही है। दरअसल, वोडाफोन आइडिया पर टेलीकॉम मिनिस्ट्री का एजीआर बकाया 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। कंपनी इस बकाये का मामूली रकम ही चुका सकी है। हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को शर्तों के साथ एजीआर बकाया चुकाने के लिए 10 साल की छूट दी है।

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