दिवालिया की हालत में पहुंची इन कंपनियों में म्यूचुअल फंड पर 3376 करोड़ का निवेश

देश में म्यूचुअल फंड निवेश का सबसे बड़ा जरिया बन गए हैं। कुछ म्यूचुअल फंड कंपनियों ने वोडाफोन-आइडिया में करीब 3376 करोड़ रुपये का निवेश कर रखा है। ये घाटे से बेहाल हुई सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है। ऐसे में अगर टेलीकॉम कंपनी दिवालिया होगी तो इन म्यूचुअल फंड कंपनियों  पर भी असर दिखेगा। 

Update: 2019-11-16 16:54 GMT

जयपुर: देश में म्यूचुअल फंड निवेश का सबसे बड़ा जरिया बन गए हैं। कुछ म्यूचुअल फंड कंपनियों ने वोडाफोन-आइडिया में करीब 3376 करोड़ रुपये का निवेश कर रखा है। ये घाटे से बेहाल हुई सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है। ऐसे में अगर टेलीकॉम कंपनी दिवालिया होगी तो इन म्यूचुअल फंड कंपनियों पर भी असर दिखेगा।

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मार्केट विशेषज्ञों का मानना है कि, 35 से अधिक म्यूचुअल फंड स्कीम ने वोडा-आइडिया में निवेश कर रखा है। जो करीब 3376 करोड़ रुपये था। इसमें फ्रैंकलिन टेंपलटन, आदित्य बिड़ला सन लाइफ, यूटीआई और निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड स्कीम शामिल हैं। ऐसी स्थिति में चिंता का विषय है कि वोडाफोन और आइडिया नया निवेश नहीं होगा तो कंपनी पर ताला लगने से कोई रोक नहीं सकता है।

इन कंपनियों का कहना है कि सरकार ने सहयोग नहीं किया इसलिए वो अब नए निवेश के पक्षधर नहीं है। वोडाफोन ने अपने निवेश वैल्यू शून्य करने का फैसला किया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश के बाद लिया गया है।

वोडाफोन आइडिया के ऊपर फिलहाल 99 हजार करोड़ की देनदारी है। कंपनी का शेयर 95 फीसदी गिरकर दो साल के निचले स्तर तीन रुपये पर आ गया। दूसरी तिमाही में कंपनी को 50,900 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। कंपनी को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद एजीआर के तौर पर 39 हजार करोड़ रुपये 90 दिनों के भीतर चुकाने हैं।

 

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वोडाफोन-आइडिया ने बयान में कहा है उसके पास करीब 27610 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस के तौर पर 30 सितंबर 2019 तक थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस राशि को 90 दिन के अंदर भुगतान करना है। टेलीकॉम सेक्टर की खस्ता हालत को देखकर सरकार को कदम उठाने की जरुरत है। टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे, नहीं तो इससे डिजिटल इंडिया के कदमों पर ब्रेक लग जाएगा।

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