शुरू गर्मी का सितम: तीन महीने खूब तपाएगा मौसम, IMD ने जारी किया अलर्ट
मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के अलावा देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में भी दिन का तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। बता दें कि विभाग ने सोमवार को मार्च, अप्रैल और मई तीन महीनों के लिए गर्मी का पूर्वानुमान जारी किया है।
नई दिल्ली: देश के अधिकतर हिस्सों में मौसम ने करवट लेना शुरू कर दिया है। कई राज्यों में फरवरी महीने से ही गर्मी ने दस्तक दे दी है। तो कहीं कहीं मार्च महीने की शुरूआत से गर्मी का अहसास होने लगा है। इस बीच कहा जा रहा है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में आने वाले महीनों में गर्मी का प्रकोप बना रहेगा। भारतीय मौसम विभाग ने गर्मी का पूर्वानुमान जारी किया है।
तापमान सामान्य से रहेगा अधिक
मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के अलावा देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में भी दिन का तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। बता दें कि विभाग ने सोमवार को मार्च, अप्रैल और मई तीन महीनों के लिए गर्मी का पूर्वानुमान जारी किया है। IMD की मानें तो इस साल दक्षिण और मध्य भारत को छोड़कर उत्तर भारत सहित देश के ज्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से एक डिग्री तक अधिक बना रह सकता है।
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अभी से होने लगा है आभास
मार्च की शुरूआत के साथ इसके आसार भी दिखने लगे हैं। बताया जा रहा है कि कल यानी एक मार्च को उत्तर और मध्य भारत में तापमान सामान्य से तीन से छह डिग्री तक ज्यादा रहा। आपको बता दें कि विभाग की ओर से लगातार पांच साल से गर्मी को लेकर पूर्वानुमान जारी किया जा रहा है। लेकिन इसमें खास बात ये है कि विभाग की ओर से गर्मी को लेकर की गई भविष्यवाणी सही भी साबित हुई है।
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मध्य प्रदेश में सताएगी गर्मी
मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल भोपाल, इंदौर सहित पश्चिमी मध्य प्रदेश में दिन का तापमान सामान्य से 0.5 डिग्री जबकि रात का तापमान एक डिग्री तक ज्यादा रहने की संभावना है। विभाग ने पूर्वानुमान में कहा है कि जबलपुर, सागर समेत पूर्वी मध्यप्रदेश में लोगों को दिन में गर्मी का ज्यादा अहसास होगा। यहां तापमान सामान्य से एक डिग्री तक ज्यादा बना रह सकता है। वहीं, राजधानी में अप्रैल और मई महीने में गर्मी के साथ साथ लू का भी सितम झेलना होगा।
भारत में सूखा पड़ने की बढ़ेगी तीव्रता
केवल इतना ही नहीं दुनियाभर में हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत में भविष्य में सूखा पड़ने की तीव्रता बढ़ेगी, जिसका फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, सिंचाई की मांग बढ़ेगी और भूजल का दोहन बढ़ेगा। आईआईटी गांधीनगर में अनुसंधानकर्ताओं के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
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