पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव समय से पहले, जानिए क्या है इसका कारण

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच तलवारें खिंची हुई है और दोनों दल जोरशोर से एक-दूसरे को पटखनी देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस बीच बड़ी खबर यह है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव समय से कुछ पहले ही हो सकता है।

Update: 2021-01-08 17:29 GMT
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हों या फिर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, दोनों ने ममता बनर्जी पर वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कई बार जुबानी हमला बोला है।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच तलवारें खिंची हुई है और दोनों दल जोरशोर से एक-दूसरे को पटखनी देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस बीच बड़ी खबर यह है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव समय से कुछ पहले ही हो सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं को बताया जा रहा है। 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सात चरणों में मतदान हुआ था मगर इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान आठ चरणों में मतदान के संकेत मिले हैं।

पिछली बार सात चरणों में हुआ था मतदान

चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 2016 में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव के मतदान की शुरुआत 4 अप्रैल को हुई थी और सात चरणों में मतदान का काम 19 मई तक चला था। इस तरह मतदान शुरू होने से लेकर मतगणना की प्रक्रिया को पूरी करने में करीब डेढ़ महीने से अधिक का समय लगा था। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पिछले दिनों सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं 4 मई से शुरू होने की घोषणा की थी।

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सीबीएसई परीक्षा है बड़ा कारण

सीबीएसई परीक्षाओं की तारीख की घोषणा के बाद अब इस बात की प्रबल संभावना जताई जा रही है कि इस बार विधानसभा चुनाव समय से पहले हो सकते हैं। परीक्षा शुरू होने के बाद माइक बजाने की अनुमति नहीं होगी क्योंकि इससे परीक्षा की तैयारी में जुटे छात्र-छात्राओं को दिक्कत होगी। ऐसे में मतदान समय से पहले शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।

इस बार आठ चरणों में हो सकता है मतदान

पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का इतिहास रहा है और 2018 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान तो राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इससे पूर्व के चुनावों में भी राज्य में हिंसा की घटनाएं होती रही हैं। भारतीय जनता पार्टी राज्य में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप पहले से ही लगाती रही है। अन्य दलों ने भी इस बार के चुनाव में भारी हिंसा होने की आशंका जताई है। हिंसा की इस आशंका के साथ ही कोरोना महामारी का असर भी इस बार के चुनाव में दिखेगा। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस बार मतदान आठ चरणों में कराया जा सकता है।

फरवरी में हो सकती है चुनाव की घोषणा

चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अगर मार्च मध्य से मतदान की प्रक्रिया शुरू होती है तो इस प्रक्रिया को पूरी करने में कम से कम डेढ़ महीने का समय लगेगा। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि फरवरी में ही विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है और मार्च मध्य से मतदान की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। राज्य में अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करने की तारीख 15 जनवरी तय की गई है। इसके बाद विधानसभा चुनाव को लेकर आयोग बड़ा फैसला ले सकता है।

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सभी सियासी दलों ने ताकत झोंकी

इस बीच सभी सियासी दलों ने चुनाव की तैयारियों में पूरी ताकत झोंक दी है। सियासी जानकारों के मुताबिक इस बार के चुनाव में मुख्य लड़ाई भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच दिख रही है। भाजपा ने इस बार के विधानसभा चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं। नड्डा एक बार फिर राज्य के दौरे पर पहुंच रहे हैं जबकि जनवरी में शाह का भी दौरा प्रस्तावित है। दोनों नेताओं ने गत दिसंबर में भी राज्य का दौरा किया था।

भाजपा पर हमलावर हैं ममता

दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी लगातार विभिन्न जिलों का दौरा कर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में बनाने में जुटी हुई हैं। हाल के दिनों में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने से ममता को करारा झटका लगा है और ममता इसकी भरपाई में जुटी हुई है। उन्होंने लगातार भाजपा पर हमलावर रुख अपना रखा है।

रिपोर्ट: अंशुमान तिवारी

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