West Bengal Election 2021: इनके वोटों पर है भाजपा टीएमसी दोनों की नजर

मौजूदा विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी के लिए बीजेपी से जीत के लिए हर कोशिश मुकाबला कर रही हैं। पश्चिम बंगाल चुनाव में हर दल की नज़र राज्य के ओबीसी वोट पर है।

Update: 2021-03-19 03:29 GMT
West Bengal Election 2021: ओबीसी वोटों को रिझामे में लगी TMC-BJP

कोलकाता: मौजूदा विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी के लिए बीजेपी से जीत के लिए हर कोशिश मुकाबला कर रही हैं। पश्चिम बंगाल चुनाव में हर दल की नज़र राज्य के ओबीसी वोट पर है। तृणमूल कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ऐलान किया कि वह तामुल, शाह, महिसिया और तिलि जातियों को ओबीसी आरक्षण के दायरे में लाएगी। वही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कह चुके है कि भाजपा की सत्ता आने पर वह इन समुदायों को ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण देगी।

2019 का लोकसभा परिणाम

बता दें, साल 2019 का लोकसभा परिणाम देखा जाए तो SC, ST और OBC के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में दक्षिण बंगाल में लाभ मिला। यदि एससी / एसटी वोटों के ट्रांसफर से भाजपा को जंगलमहल और उत्तर 24 परगना और नदिया में बेहतर परिणाम पाने में मदद मिली, तो ओबीसी वोटों के शिफ्टिंग ने पार्टी को पूर्व और पश्चिम मिदनापुर, हुगली और हावड़ा जैसे जिलों में सीटें जीतने में मदद की।

पकड़ को मजबूत बनाने की पूरी कोशिश

भाजपा की जो थोड़ी पकड़ है है वह अब उसे मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। वही तृणमूल अपने आरक्षण के वादों से ओबीसी को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगी हुईं हैं। तृणमूल सरकार ने पहली बार सत्ता संभालने के एक साल बाद 2012 में पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवा और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) विधेयक 2012 पारित किया, जो कुछ अन्य पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण देता है।

वोट हासिल करने के लिए नहीं किया काम

अपने किए वादों को लेकर पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम का कहना है कि तृणमूल का घोषणा पत्र वोट बैंक हासिल करने के उद्देश्य से ऐलान नहीं किया गया। उनका कहना है कि ममता बनर्जी हमेशा दलितों के लिए कुछ करने के लिए उत्सुक रहती हैं। जिसके लिए उन्होंने भोजन घर और स्वास्थ्य सुरक्षा का आश्वासन दिया ।

दूसरी तरफ भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने तृणमूल पर हमला करते हुए कहा कि उनका वादा 'तृणमूल की विभाजनकारी राजनीति' की तरह नहीं है। हमने पहले ही घोषणा कर दी थी कि जो लोग मंडल कमीशन के अनुसार आरक्षण पाने के योग्य हैं, हम देंगे।

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