Divorce Rules in India : तलाक में औरतों को भी देना होता है पति को पैसा, क्या कहता है कानून...जान लें ये नियम
Divorce Rules in India: आम नागरिक को अक्सर कानून की सही जानकारी नहीं होती है। जिसका उन्हें खामियाजा उठाना पड़ता है। तलाक से जुड़े मामलों में भी ये प्रमुखता से है। भारत के आम नागरिक को ये पता ही नहीं है कि तलाक की स्थिति में पति भी पत्नी से एलुमनी का पैसा मांग सकता है।
Divorce Rules in India : मुंबई के एक जोड़े ने हाल ही में तलाक लिया। उनकी शादी के 25 साल बीत चुके थे। आए दिन इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन ये अनोखा है। अनोखा इस मायने में कि, अमूमन हम तलाक में पति की तरफ से मुआवजा सहित अन्य राशि की बातें सुनते रहे हैं लेकिन, इस केस में पत्नी ने अपने पति को करीब 10 करोड़ रुपए का गुजारा भत्ता यानी एलिमनी दी। इसलिए इस तलाक की चर्चा चारों तरफ है।
गौरतलब है कि, आम तौर पर तलाक के मामलों में लोगों को लगता है कि पति को ही गुजारा भत्ता और मेंटेनेंस के लिए पत्नी को पैसे देने होते हैं। इसकी मुख्य वजह आम लोगों को तलाक से जुड़े नियम और कानून की सही जानकारी ना होना है। ज्ञात हो कि, किसी भी जोड़े को तलाक के लिए एक पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। सामान्यतः ये सामाजिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला होता है। साथ ही, इसका असर उसकी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है। इसलिए लोगों को तलाक से जुड़े कुछ प्रावधानों को समझना जरूरी है।
क्या कहता है हिंदू मैरिज एक्ट?
भारत में अलग-अलग धर्म के मानने वालों के लिए अपने रीति-रिवाज हैं। उन्हीं के हिसाब से शादी की अनुमति दी जाती है। इसलिए धर्म के आधार पर तलाक के प्रावधान भी अलग-अलग हैं। हिंदुओं में शादी की व्यवस्था हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) के आधार पर होती है। इसमें ऐसे प्रावधान हैं, जिसके तहत सिर्फ पत्नी ही नहीं पति को भी अपनी पत्नी से मेंटेनेंस और एलिमनी मांगने का हक है।
तलाक की क्या है प्रक्रिया?
हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) की धारा-9 'रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्जुगल राइट्स' (RCR) अर्थात 'दांपत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना' के बारे में बताती है। जब पति-पत्नी बिना किसी ठोस वजह के एक-दूसरे से अलग रहते हैं, तब कोई भी एक पक्ष अदालत में जाकर दूसरे पक्ष को साथ रहने के लिए कह सकता है। बावजूद, कोर्ट के आदेश को नहीं माना जाता है, तब दोनों पक्षों में से कोई भी तलाक (Divorce) की मांग कर सकता है। ऐसे मामलों में निपटारे के बाद ही तलाक की प्रक्रिया (Process of Divorce) को शुरू किया जा सकता है। हालांकि, आपसी सहमति से होने वाले तलाक में इस धारा का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।
RCR में पति-पत्नी के तहत क्या हैं अधिकार?
रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्जुगल राइट्स (आरसीआर) के तहत अदालत दोनों पक्षों की संपत्ति के आकलन का आदेश दे सकती है। वहीं, RCR की प्रक्रिया समाप्त हो जाने के करीब एक साल बाद ही तलाक के लिए आवेदन किया जा सकता है। वहीं, हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-25 में मेंटेनेंस और एलिमनी के प्रावधान हैं। इसमें पति-पत्नी दोनों को अधिकार दिए गए हैं। इसकी कुछ शर्तें हैं। वहीं, स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act) के तहत होने वाली शादियों में सिर्फ पत्नी के पास ही मेंटेनेंस या एलिमनी मांगने का अधिकार है।
तलाक में कब औरतों को देना होता है पैसा?
तलाक के मामलों में अक्सर पुरुष द्वारा ही गुजारा भत्ता देने की ख़बरें आती रही हैं। क्या आपको पता है कि, कोई पुरुष भी अपनी पत्नी से एलिमनी की मांग कर सकता है? तो आपको बता दें, किसी रिश्ते के खत्म होने पर पति अपनी पत्नी से तब एलिमनी मांग सकता है, जब उसकी आय का कोई साधन नहीं हो। अर्थात, पति अपनी पत्नी से तब भी एलिमनी मांग सकता है, जब उनकी आय पत्नी के मुकाबले कम हो। हालांकि, ऐसे मामले बेहद कम देखने को मिलते हैं। अमूमन पति ही अपनी पत्नी को मेंटेनेंस या एलिमनी देते हैं।