Year Ender 2022: बीजेपी की 2022 में बल्ले-बल्ले, एक के बाद एक कई राज्यों में बनाई सरकार..नजर 'मिशन 2024' पर
Year Ender 2022: बीजेपी के लिए साल 2022 सफलता का साल रहा। साल की शुरुआत से ही पार्टी ने एक के बाद एक 5 राज्यों में सरकार बनाई। अब नजर 'मिशन 2024' पर टिकी है।
Year Ender 2022: केंद्र और देश के कई राज्यों की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए साल 2022 बेहतरीन रहा। इस वर्ष बीजेपी ने एक के बाद एक पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में विजय पताका लहराया। पार्टी को सबसे ज्यादा ख़ुशी उत्तर प्रदेश और गुजरात फतह से हुई होगी। ये दोनों राज्य कई मायनों में बीजेपी के लिए अहम हैं। इस साल के शुरुआत में ही 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें 4 में बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही। जबकि, वर्षांत में दो राज्यों में हुए चुनावों में एक में प्रचंड जीत तो दूसरी में कम अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा।
बीजेपी 2022 के अपने राजनीतिक सफर पर नजर डाले तो ये साल उसके लिए सुखद अनुभवों वाला रहा। हिमाचल प्रदेश में सत्ता खोने का दुख तो होगा, लेकिन अन्य राज्यों में जीत का प्रतिशत इतना अच्छा रहा कि बीजेपी उस हार की याद भी नहीं आएगी। वहीं, एक अन्य राज्य पंजाब में भी लाख कोशिशों के बावजूद बीजेपी को कामयाबी नहीं मिली। यहां भी पार्टी को ज्यादा अफ़सोस नहीं होगा। क्योंकि, पंजाब में पहले भी बीजेपी को अकाली दल के सहयोगी के रूप में ही देखा जाता था। हालांकि, इस बार उसने अकेले दम भरा। कई गुना-गणित भी किए, लेकिन आशातीत सफलता नहीं मिली। बावजूद इस वर्ष जिन 7 राज्यों में चुनाव हुए उनमें 5 में जीत किसी भी दल के लिए गौरव की बात है।
यूपी की जीत ने प्रशस्त किया 'मिशन 2024' का रास्ता
बीजेपी ने जिन राज्यों में सरकारें बनाई वो हैं- उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर। यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है। इस प्रदेश के लिए कहा जाता है दिल्ली की सत्ता का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है। उस प्रदेश में 'प्रचंड बहुमत' हासिल करना बीजेपी के लिए गर्व की बात है। 2017 की तरह 2022 में भी यूपी में 'भगवा लहर' देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में भाजपा गठबंधन ने तो 102 मिनट में ही बहुमत का आंकड़ा छू लिया था। हालांकि, यूपी में पिछली बार बीजेपी की 'सुनामी' थी। पार्टी ने अकेले 312 सीटें जीती थी, जबकि एनडीए को 325 सीट मिली। हालांकि, 2022 में बीजेपी वो करामात नहीं दोहरा पायी, बावजूद 273 विधायकों को यूपी विधानसभा भेजने में सफल रही। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की मतगणना में बीजेपी को 41.29 प्रतिशत मत हासिल हुए। ये आंकड़े बीजेपी की भविष्य की राजनीति की ओर इशारा करते हैं। बीजेपी की प्रचंड बहुमत ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर तो मुहर लगाई ही, पार्टी के 'मिशन 2024' का रास्ता भी प्रशस्त किया।
उत्तराखंड: राज्य छोटा मगर जीत बड़ी
इसी तरह, बीजेपी ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी जीत दर्ज कर यूपी के विजय रथ हो आगे बढ़ाया। साल 2022 विधानसभा चुनाव में 'देवभूमि' उत्तराखंड में बीजेपी की जीत कई मायनों में अहम रही। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने यहां हारी बाजी को जीत में तब्दील किया। विपक्षी दल कांग्रेस जीत को लेकर आश्वस्त थी, मगर परिणामों ने उसे मायूस किया। यहां भी भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में वापसी की। उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद से कभी किसी एक दल की सरकार लगातार दो बार सत्ता में नहीं आई थी, मगर इस बार वो मिथक भी टूट गया। 70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 47 सीटें हासिल हुई। पुष्कर सिंह धामी के हाथों में दोबारा सत्ता की कमान सौंपी गई। उत्तराखंड राज्य भले ही छोटा है, मगर बीजेपी के लिए ये जीत बड़ी थी।
गोवा में लगातार तीसरी बार,..बीजेपी सरकार
भारतीय जनता पार्टी गोवा में भी 'सत्ता विरोधी' लहर को पार पाते हुए सरकार बनाने में सफल रही। गोवा विधानसभा चुनाव 2022 में 20 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। बहुमत के आंकड़े से एक सीट पीछे रहने वाली भाजपा ने क्षेत्रीय दल महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) और 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। प्रमोद सावंत को फिर सत्ता संभालने को मिला। बता दें, गोवा विधानसभा महज 40 सीटों की है। हालांकि, बीजेपी ने गोवा में 2017 की तुलना में अपने प्रदर्शन में सुधार किया। पिछली बार पार्टी मात्र 13 सीटें ही जीत सकी थी। बावजूद सभी राजनीतिक पैंतरेबाजी के साथ सरकार बनाने में सफल रही थी।
मणिपुर भी रंगा भगवा रंग में
समय के साथ बीजेपी ने देश के पूर्वी राज्य में भी अपना विस्तार किया है। मणिपुर इसका जीता-जागता उदाहरण है। साल 2022 की शुरुआत में बीजेपी ने एक बार फिर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार में वापसी की। मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 32 विधायक जीतकर पहुंची है। भाजपा ने साल 2017 विधानसभा चुनाव में महज 21 सीटें जीतने में सफल रही थी। बावजूद क्षेत्रीय क्षत्रपों NPP और NPF के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। लेकिन, 2022 विधानसभा चुनाव में राज्य 'भगवामय' हो गया। पिछली जीत के बाद से ही बीजेपी पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिशों में जुटी रही। भाजपा की ताकत बाद में बढ़कर 28 हो गई थी। इस पूर्वी राज्य में बीजेपी को विजयी बनाने में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उन्हें इनाम भी मिला।
गुजरात में बीजेपी की 'सुनामी'
साल 2022 जब समापन की ओर थी, तभी दो राज्यों के चुनाव परिणाम आए। हिमाचल में जहां बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा वहीं गुजरात में पार्टी ने 'सुनामी' का एहसास करवाया। गुजरात की जीत कई मायनों में बीजेपी के खास रही। भाजपा यहां लगातार 7वीं बार सत्ता में आई। कुल 182 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में बीजेपी ने 156 जीतने में सफल रही। ये जीत एकतरफा थी। इस राज्य में एक बार फिर 'मोदी मैजिक' चला। विधानसभा चुनाव में इस तरह का प्रदर्शन 'सामान्य' बात नहीं थी। भारतीय राजनीति में ऐसे बिरले ही उदाहरण होंगे। भूपेंद्र पटेल के हाथों में गुजरात की कमान सौंपी गई। गुजरात की ये जीत इसलिए भी मायने रखती है कि, वहां एक के बाद एक बीजेपी को 3 बार अपने मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। बावजूद मोदी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला। इस जीत ने बीजेपी के 'मिशन 2024' के लिए ईंधन का काम किया। पार्टी अब पूरी तरह चार्ज है।
इस जीत के साथ बीजेपी गुजरात में लगातार 32 साल शासन करने वाली पहली पार्टी बनकर उभरी। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी को कुल वोट प्रतिशत का करीब 53 प्रतिशत हासिल हुआ। ये मत प्रतिशत लोगों के भरोसे का प्रतीक था। इससे पहले राज्य में बीजेपी ने 2002 में 127 सीटें जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की थी। हालांकि, तब स्वयं नरेन्द्र मोदी राज्य में मुख्यमंत्री थे।
बीजेपी 'मिशन साउथ' की ओर
भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार दक्षिण के राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिशों में जुटी है। बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में मिशन मोड में है। इस बार पार्टी का फोकस दक्षिण भारत के उन राज्यों पर है जहां आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी के 'मिशन साउथ' के पीछे की वजह को तलाशें तो एक महत्वपूर्ण बात निकलकर सामने आती है। दरअसल, बीजेपी उत्तर भारत के राज्यों में स्थिरता कायम कर चुकी है। अब उसकी नजर दक्षिण के राज्यों पर टिकी है। भाजपा ने इसके लिए कमाल की रणनीति भी बनाई है। 'मिशन साउथ' के तहत बीजेपी हर राज्य में अलग-अलग रणनीति पर काम कर रही है। हाल ही में, राज्यसभा के लिए मनोनीत सदस्यों पर नजर डालें तो सभी दक्षिण भारतीय हैं। पीटी ऊषा जहां केरल से हैं तो संगीतकार इलैया राजा तमिलनाडु से, लेखक और फिल्म डायरेक्टर वी विजयेंद्र आंध्र से आते हैं तो समाजसेवी वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक से। ये सभी बातें बीजेपी के 'मिशन साउथ' का एक हिस्सा हैं।
काशी तमिल संगमम: बनारस का तमिल कनेक्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 में धर्मनगरी वाराणसी में 'काशी तमिल संगमम' का उद्घाटन किया। इसका आयोजन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से किया गया था। 'काशी तमिल संगमम' एक ऐसा प्रोजेक्ट रहा जिसे तमिलनाडु और वाराणसी के बीच प्राचीन संबंधों को ना केवल जोड़ने बल्कि उसे युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में काम किया। केंद्र की बीजेपी सरकार की इस कोशिश पर भले ही अलग-अलग मंच पर बहस देखने को मिल रही है। लेकिन, इसे बीजेपी के नजरिये से देखें तो ये पार्टी उस दिशा में आगे बढ़ रही है जिसके बारे में सोचना भी कभी उसके लिए सपना था। कई लोग इसे भी बीजेपी के 'मिशन साउथ' का ही हिस्सा मानते हैं तो कुछ संस्कृति के आदान-प्रदान और पुरानी परंपरा से जोड़कर देखते हैं। जो भी हो एक बात तो मानना होगा कि इसी बहाने बीजेपी दक्षिण के लोगों के दिलों में भी जगह बनाने में सफल हो रही है।
भारतीय जनता पार्टी के नजरिये से साल 2022 बहुत अच्छा रहा। एक के बाद एक पांच राज्यों में जीत ने इस पार्टी के मनोबल को बढ़ाया। अगले साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले पार्टी की इतनी बड़ी जीत उत्साह बढ़ाने का ही काम करेगी। बीजेपी के 'मिशन 2024' के लिए ये जीत कई मायनों में अहम है। एक शब्द में कहें तो साल 2022 का वर्षांत बीजेपी के लिए 'सुखांत' रहा।