नई दिल्ली : भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने सोमवार को कहा कि वह आधार सत्यापन के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा फीचर के रूप में चेहरा प्रमाणीकरण को जल्द ही शुरू करने जा रहा है। यह नया फीचर जुलाई में शुरू किए जाने की संभावना है। इस सुविधा से फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन के जरिए प्रमाणीकरण में होने वाली असुविधा को हल किया जा सकेगा।
यूआईडीएआई ने एक बयान में कहा, "हालांकि, चेहरे की पहचान 'फ्यूजन मोड' में ही इस्तेमाल की जाएगी। यह केवल एकमात्र प्रमाणीकरण सुविधा फिंगरप्रिंट, आईरिस या वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) के साथ ही प्रयोग किया जाएगा।"
वर्तमान में यूआईडीएआई बॉयोमीट्रिक प्रमाणीकरण के दो तरीके प्रदान करता है। पहला फिंगरप्रिंट और दूसरा आईरिस। बयान में कहा गया है कि ज्यादातर लोग इन दोनों विशेषताओं का उपयोग कर प्रमाणित करने में सक्षम हैं, जबकि कुछ लोगों को रूपरेखाओं में से एक का उपयोग करके बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग करने में कठिनाई होती है।
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प्राधिकरण ने कहा, "यूआईडीएआई ने एक जुलाई, 2018 तक पंजीकृत उपकरणों पर फ्यूजन मोड में चेहरा प्रमाणन को शुरू करने का निर्णय लिया है, ताकि अन्य बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण (फिंगरप्रिंट और आईरिस) में कठिनाई का सामना कर रहे लोग आसानी से प्रमाणित कर सके।"
प्राधिकरण ने आगे कहा कि चेहरा प्रमाणीकरण सुविधा सभी निवासियों को अतिरिक्त विकल्प प्रदान करेगी, जिसमें समेकित प्रमाणीकरण होना चाहिए। इसके अलावा, सुविधा को जरूरत के आधार पर भी अनुमति दी जाएगी।
बयान में कहा गया है कि जब यूआईडीएआई डेटाबेस में चेहरे की तस्वीर पहले ही उपलब्ध है, तो प्राधिकरण की केंद्रीय पहचान डेटा रिपॉजिटरी (सीआईडीआर) में कोई नया डेटा जमा करने की कोई जरूरत नहीं है।
यूआईडीएआई के मुताबिक, प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसियों (एयूयू) को तब एकमात्र प्रमाणीकरण सुनिश्चित करने की जरूरत होगी, जब एकल विधि विशिष्ट निवासियों के लिए काम नहीं कर रही होगी।
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प्राधिकरण ने कहा, "लैपटॉप और मोबाइल पर कैमरा अब आसानी से उपलब्ध है, जिससे किसी भी अतिरिक्त हार्डवेयर की आवश्यकता के बिना प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसियों (एयूए) के लिए चेहरे की फोटो खींचना आसान होगा। सुरक्षा बढ़ाने के लिए चेहरा प्रमाणीकरण का एक अतिरिक्त कारक के रूप में उपयोग किया जा सकता है।"
इस प्रमाणीकरण सेवा की सुविधा के लिए, यूआईडीएआई बॉयोमीट्रिक डिवाइस प्रदाताओं के साथ काम करेगा, ताकि प्रमाणित पंजीकृत डिवाइसों में चेहरे की रूपरेखा को एकीकृत किया जा सके और अपेक्षित रूप से एकल पंजीकृत डिवाइस (आरडी) सेवा प्रदान की जा सके।
आधार प्रमाणीकरण का उपयोग बैंकों, दूरसंचार कंपनियों, पीडीएस, आयकर विभाग, कर्मचारियों की उपस्थिति आदि जैसी कई प्रणालियों द्वारा प्राथमिक पहचान सत्यापन पद्धति के रूप में किया जा रहा है।
बयान में कहा गया है, "यह सुविधा उन लोगों के समेकित प्रमाणीकरण में मदद करने जा रही है, जिनके फिंगरप्रिंट, बुढ़ापे या कड़ी मेहनत की स्थिति में घिस चुके हैं और वे खुद को बायोमीट्रिक रूप से प्रमाणित नहीं कर पा रहे हैं।"