नई दिल्ली : हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से आधार डेटा लीक से हुई हानि के लिए अनुकरणीय क्षतिपूर्ति की मांग वाली एक याचिका पर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट्ट और न्यायमूर्ति ए.के. चावला की पीठ ने मामले में केंद्र और यूआईडीएआई से छह हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए और मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर के लिए तय कर दी है।
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कोर्ट इस मामले में वकील सिद्धार्थ अग्रवाल के जरिए शमनद बशीर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बशीर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि आधार धारकों के निजी सूचना के प्रसार से स्पष्ट है कि सूचनात्मक निजता के अधिकार के किसी भी प्रकार के उल्लंघन के लिए सरकार जिम्मेदार है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि यूआईडीएआई की लापरवाही से उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
सुप्रीमकोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा कि जब राज्य एक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है तो, कोर्ट मुआवजे का आदेश दे सकती है।
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उन्होंने कहा कि उनकी याचिका सुप्रीमकोर्ट की अन्य सुनवाई से काफी अलग है, क्योंकि वह डेटा में सेंध लगाने की वजह से क्षतिपूर्ति का दावा कर रहे हैं।
बशीर ने अदालत से कई विशेषज्ञों को मिलाकर एक स्वतंत्र समिति नियुक्त करने का भी आग्रह किया, जो डेटा उल्लंघन के दायरे और सीमा व डेटा लीक की वजह से हुए नुकसान के परिमाण की जांच करेगी।