विकल्प की तलाश में भटकता विपक्ष, क्या वो चेहरा राहुल गांधी हैं?

Update:2018-02-05 14:09 IST

vinod-kapoor

लखनऊ: कांग्रेस अध्यक्ष बनने और गुजरात, राजस्थान के लोकसभा एवं विधानसभा उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद पार्टी में नई उम्मीद का संचार करने वाले राहुल गांधी को पार्टी ने अभी ही पीएम पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। हालांकि, लोकसभा चुनाव में अभी एक साल से भी ज्यादा का समय शेष है, लेकिन कांग्रेस उस चुनाव की रणनीति में अभी से लग गई है।

पूरा विपक्ष जो बीजेपी के शासन से ऊब गया है और अब तो जनता को भी लगता है, ऐसी ही हालत में हैं। मोदी सरकार से लगी जनता की उम्मीद अब धूमिल पड़ने लगी है। रही सही कसर बजट 2018 ने पूरी कर दी। 17 करोड़ से भी ज्यादा किसानों के वोट पर नजर गड़ाए मोदी सरकार ने ऐसा बजट पेश किया जिसने समाज के हर तबके की ऐसी-तैसी कर दी। हां, इससे कुछ चुने हुए कॉरपोरेट घरानों को अगल किया जा सकता है।

नजर तो राहुल पर ही टिकनी है

लेकिन बात जब 2019 लोकसभा चुनाव में विपक्ष के चेहरे को लेकर होती है तो कांग्रेस क्या, पूरे विपक्ष के पास भी राहुल गांधी के अलावा कोई बेहतर विकल्प नहीं है। वामपंथी या समाजवादी दलों में कोई ऐसा चेहरा नहीं जो मोदी का केंद्र में विकल्प हो, लिहाजा नजर तो राहुल पर ही टिकनी है।

ये भी पढ़ें ...राहुल बोले- ‘महात्मा गांधी की तरह भागवत संग नहीं दिखती महिलाएं’

कांग्रेस ने खोल दिए अपने पत्ते

कांग्रेस ने राहुल गांधी के चेहरे को आगे करके चुनाव में उतरने के लिए कदम बढ़ा दिया है। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने रविवार को कहा, कि 'देश में मोदी का विकल्प राहुल गांधी हैं। देश की जनता राहुल को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है।' मतलब, कांग्रेस ने अपने पत्ते पूरी तरह खोल दिए हैं और पूरे विपक्ष को बिना बताए संदेश भी दे दिया कि आओ और देखो अगर मोदी एंड कंपनी को सत्ता से बाहर करना है तो यही एक विकल्प बचा है।

सहयोगी दल अभी अभी उहापोह में

सुरजेवाला के इस ऐलान को सहयोगियों में एनसीपी का समर्थन मिला है, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) अखिलेश यादव को मोदी का विकल्प बता रही है जबकि पार्टी को यह सोचना होगा कि सपा यूपी में ही सिमटी हुई है। देश के अन्य राज्यों में उसका कोई जनाधार नहीं है। हालांकि, आरजेडी भी अभी कांग्रेस के फैसले से पूरी तरह सहमत नहीं है, लेकिन मोदी के मुकाबले राहुल की राजनीति के साथ खड़े होने की बात कह रही है।

ये भी पढ़ें ...लो भईया! राहुल की इस जैकेट ने मचाया बवाल, बीजेपी ने जमकर खींची टांग

'मौजूदा राजनीति में राहुल ही मोदी का विकल्प'

कभी बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे एनसीपी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा, 'बेशक मौजूदा समय में राहुल गांधी ही मोदी का विकल्प हैं। कांग्रेस की राय से मैं पूरी तरह सहमत हूं। गुजरात विधानसभा चुनाव और राजस्थान के उपचुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि राहुल गांधी में नेतृत्व की क्षमता है। जिस तरह से राहुल गांधी ने अपनी राजनीति से बीजेपी को मात देनी शुरू की है, उससे साफ है कि 2019 का चुनाव विपक्ष की तरफ से मोदी के मुकाबले राहुल गांधी ही विकल्प होंगे।' हालांकि, तारिक अनवर के भी कांग्रेस में वापसी की चर्चा जोरों पर है।

आरजेडी को राहुल में दिखती सकारात्मक सोच

हालांकि, आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा कहते हैं कि 'कांग्रेस के साथ हमारी सकारात्मक सोच है, लेकिन लोकतंत्र में सामूहिक फैसला होना चाहिए। यदि विपक्ष मिलकर 2019 के लिए राहुल का नाम आगे बढ़ाती है तो विचार किया जा सकता है। मौजूदा दौर में मोदी की तुलना में राहुल की राजनीति भारत की आत्मा के ज्यादा करीब है। मोदी जहां विध्वंस की राजनीति करते हैं तो राहुल सर्व समाज को लेकर चलने वाली राजनीति करते हैं। अध्यक्ष बनने के बाद राहुल में सकारात्मक बदलाव आया है। एसपीजी से घिरे रहने वाले राहुल की सादगी लोगों को भा रही है।'

ये भी पढ़ें ...राहुल को थमा दिया मेघालय दौरे के लिए 20 साल पुराना चॉपर

ये जनता तय करेगी

दूसरी ओर, सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहतेे हैं, कि 'ये जनता तय करेगी कि मोदी का विकल्प कौन है? कांग्रेस पार्टी के नेता अपने नेता की बात कर रहे हैं। ये उनकी राय होगी जबकि सपा मानती है कि गांव और गरीब की बात करने वाले अखिलेश यादव बड़ा विकल्प हो सकते हैं।' हालांकि, सपा और कांग्रेस को गठजोड़ का चुनाव में कोई फायदा नहीं मिला। सपा 47 पर तो कांग्रेस 7 सीट पर सिमट कर रह गई। हालांकि, अखिलेश ने विकास का वैकल्पिक मॉडल दिया है। अखिलेश के शासनकाल में हुए विकास का काम अभी भी दिखता है।

लोकसभा के 2014 के चुनाव से एक साल पहले बीजेपी ने भी 2013 में नरेंद्र मोदी को पीएम के चेहरे के तौर पर पेश किया था। इसके बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के साथ कई सहयोगी दल साथ आए थे। इनमें राम विलास पासवान की लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और अनुप्रिया पटेल की अपना दल सहित कई सहयोगी दल जुड़े थे। इसके अलावा कई नेताओं ने कांग्रेस सहित कई पार्टी से नाता तोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। कांग्रेस ने उसी तर्ज पर अब राहुल के नाम को आगे बढ़ाया है। दूसरी ओर, बीजेपी के सहयोगी दल अब उससे दूर जाते दिख रहे हैं। शिवसेना ने अलग होने का ऐलान कर दिया है तो तेलगू देशम पार्टी ने भी खतरे की घंटी बजा दी है। यूपी में सहयोगी भासपा ने भी तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।

Tags:    

Similar News