नई दिल्ली : असम में एनआरसी का दूसरा मसौदा जारी हो गया और जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था, इसमें 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। इस मसले पर मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि असम में सिर्फ भारतीय को ही वोट देने के अधिकार होंगे।
इसके बाद असम के मुख्य चुनाव अधिकारी से 10 दिनों के अंदर रपट मांगी गई है।
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असम में एनआरसी मसौदे के मुद्दे पर मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने कहा, एनआरसी मसौदे के अनुसार 40 लाख लोग भारतीय नागरिक नहीं हैं, लेकिन इसमें बहुत लोग 18 साल से कम के भी होंगे। अंतिम तौर पर जब एनआरसी आएगा, उसमें जो भारतीय नागरिक नहीं होगा, वह कानून के मुताबिक वोटर्स नहीं हो सकता। साथ ही कानून के मुताबिक जो भारतीय नागरिक होगा, वही वोटर्स हो सकता है।
उन्होंने कहा, यह एनआरसी का अभी प्रारंभिक प्रकाशन है। इसके बाद दावे और आपत्तियां होंगी। उन पर निर्णय होने के बाद, उसके आधार पर तय होगा कि कौन एनआरसी के अंदर आएगा कौन नहीं। इसके बाद भी अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण का मसला रहता है। अगर उनका मामला न्यायाधिकरण में चल रहा है और कोई स्पष्टता नहीं आती तो भी उनकी स्थिति फ्लूईड रहेगा। अंतिम तौर पर प्रकाशित होने के बाद जो भी भारतीय नागरिक होगा, वही वोटर्स होगा।
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रावत ने बताया कि उन्होंने असम से रपट मांगी है पूरे मसले पर, ताकि किसी वोटर्स को तकलीफ न हो और न किसी तरह की भ्रांति पैदा हो। उन्होंने कहा, "वोटर्स सूची की समीक्षा हो रही है, चार जनवरी को प्रकाशन होगा और जब तक नागरिकता का मसला पूरा होगा तब तक पर्याप्त समय है। अभी कुछ भी कहने से इसमें भ्रांति पैदा होती है और लोगों के मन में अनावश्यक रूप से तनाव पैदा होता है।"
एनआरसी प्रशासन ने व्यक्तिगत निजता का हवाला देते हुए लोगों के नाम निकाले जाने की वजह नहीं बताई है। एनआरसी को लेकर राजनीतिक पार्टियों में बहस जारी है।