श्रीनगर: कश्मीर धाटी में महिला पत्थरबाजों से निपटने की एक खास नीति बनाई गई है जिसके तहत अब इनसे सीआरपीएफ की महिला कमांडो सामने आएंगी।
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जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी एक बड़ी समस्या है, जिसका सुरक्षाबलों को आए दिन सामना करना पड़ता है। इन पत्थरबाजों में बड़ी संख्या में स्कूली लड़कियां और महिलाएं भी शामिल होती हैं, जिससे निपटने में भारतीय सेना को कई तरह की समस्याअों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए खास रणनीति बनाई गई है।
सीआरपीएफ ने तैयार की लेडी कमांडोज की टीम
महिला पत्थरबाजों से निबटने के लिए सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स यानी सीआरपीएफ ने अब लेडी कमांडोज की एक टीम तैयार की है। इन कमांडोज को कड़ी ट्रेनिंग दी गई है।
सीआरपीएफ की महिला कमांडो टीम को आंखों पर पट्टी बांधकर आने वाले खतरों से आगाह करने और उनसे मुकाबले के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये महिला कमांडों रात को भी जम्मू कश्मीर में तैनात रहेंगी। इसके अलावा इन महिलाओं को एक मिनट में हथियारों की मरम्मत करना भी सिखाया गया है ताकि कोई हथियार खराब हो तो उससे तुरंत ठीक किया जा सके।
पत्थरबाजों ने स्कूली बच्चों को बनाया निशाना
हाल के दिनों में इन घटनाओं में काफी तेजी आई है। सात मई को पत्थरबाजी की घटना में चेन्नई के पर्यटक आर थिरुमनी की मौत हो गई थी। 22 वर्ष के थिरूमनी अनंतनाग के नरबल में पर्यटकों की बस पर अचानक हुई पत्थरबाजी का निशाना बन गए थे।
इससे पहले दो मई को भी शोपियां के जावूरा गांव में पत्थरबाजों की भीड़ ने स्कूली बच्चों से भरी बस को अपना निशाना बनाया था। 30 अप्रैल को अनंतनाग जिले में हुई पत्थरबाजी में भी सात पर्यटक घायल हो गए थे।
पिछले साल खुफिया ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस ने घाटी में अस्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को 800 करोड़ रुपये दिए।