लखनऊः कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस के साथ जो दुर्घटना हुई है, उससे बचा जा सकता था। लेकिन जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, और मिनटों में कईयों की जिंदगी उनका साथ छोड़ गयी। कई बच्चे अनाथ हुए कईयों के माथे का सुहाग मिट गया। आपको जानकार हैरत होगी, कि मुजफ्फरनगर-हरिद्वार रेल मार्ग को यदि सिर्फ 15 मिनट के लिए ब्लॉक कर दिया जाता तो इतना बड़ा हादसा न होता। ओपन लाइन स्टाफ ने दुर्घटना से सिर्फ 24 मिनट पहले दिल्ली रेलवे डिविजन से रेल मार्ग को ब्लॉक करने का अंतिम अनुरोध किया था। लेकिन वहां बैठे अधिकारियों ने इसे माना ही नहीं।
यह एक बड़ा रहस्य है, कि दिल्ली रेलवे डिवीजन का अनुभाग नियंत्रण ओल्ड लाइन स्टाफ से बार-बार अनुरोध के बावजूद आखिर क्यों कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस को लेकर की गयी उनकी मांगों को मान नहीं रहा था। जिसके चलते 24 मासूम यात्रियों की मौत हो गई।
ये भी देखें:ट्रेन हादसा : पीड़ितों की आपबीती सुन खड़े हो जाएंगे आपके रोंगटे
न्यूज़ट्रैक डॉटकॉम को रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि रेलवे ट्रैक में खराबी पांच घंटे पहले ही पता चल गयी थी। लेकिन कर्मचारियों और अधिकारीयों की ओर से गैर समन्वय और बरती गयी लापरवाही से इतनी बड़ी दुर्घटना हो गईं।
दिल्ली रेलवे डिवीजन से उत्कल एक्सप्रेस को इसी ट्रैक से पास करने पर जोर दिया गया, जबकि ओपन लाइन के कर्मचारियों ने पहले ही इसे 'असुरक्षित' बता दिया था।
रेलवे के ऑफिशियल कम्युनिकेशन से इस बात का खुलासा होता है, कि सेक्शनल पर्मंनेट इंस्पेक्टर (पीडब्लूआई), खतौली ने दोपहर 12 बजे जॉइंट फिश प्लेट में दरार का पता लगाया था। उन्होंने पीडब्ल्यूआई प्रभारी मुजफ्फरनगर को 12:30 बजे प्लेट के बारे में जानकारी देते हुए बताया भी की इससे दुर्घटना हो सकती है, और हमें इसे सही करने के लिए समय दिया जाए।
ये भी देखें:ट्रेन हादसा: गेटमैन का आॅडियो वायरल, बस लापरवाही..लापरवाही
पीडब्लूआई खतौली ने ट्रैक पर रेलगाड़ियों के आने-जाने पर 20 मिनट का ब्लॉक मांगते हुए कहा कि ट्रैक असुरक्षित हो गया है। लेकिन सहायक स्टेशन मास्टर (एएसएम) खतौली और सैक्शन कंट्रोलर के बीच चर्चा के बाद उन्हें समस्या को ठीक करने की अनुमति से इंकार कर दिया गया था।
इसके बाद जो हुआ वो काफी सनसनीखेज था, कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस मेरठ में खड़ी थीखतौली इस बीच पांच मिनट से भी कम समय में एएसएम खतौली और सैक्शन कंट्रोलर के बीच दो बार बातचीत भी हुई।
इसके बारे में जानकारी पीडब्ल्यूआई प्रभारी मुजफ्फरनगर द्वारा 5:10 पर वरिष्ठ विभागीय अभियंता (डीएएन) को दी गई थी, और कहा गया था कि ट्रेनों के सुचारु संचालन के लिए 15 मिनट का ब्लॉक आवश्यक था। इसका संदेश भी विभागीय संचालन प्रबंधक (मूवमेंट) को भेजा गया था।
इसके बाद, पीडब्ल्यूआई प्रभारी मुजफ्फरनगर ने 5:15 बजे इंजीनियरिंग नियंत्रण दिल्ली डिवीजन से कहा कि 15 मिनट का एक ब्लॉक दिया जाए। उनकी इस मामले में विभागीय संचालन प्रबंधक (मूवमेंट) से भी बात हुई, जिन्होंने इसपर गौर करने का आश्वासन तो दिया लेकिन कुछ करा नहीं।
5:16 बजे, एमटीएस डिवीजन ने खंड नियंत्रक से ब्लॉक के लिए मांग की लेकिन कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस के पास होने के बाद ही ब्लॉक का लाभ उठाने का आश्वासन दिया गया। फिर 5:22 बजे, सहायक अभियंता (एईएन) मेरठ ने एमटीएस डिवीजन से उसी की मांग की और फिर से अनुभाग नियंत्रक ने अनुरोध को रद्द कर दिया।
अगले 24 मिनट में 5 बजकर 46 मिनट पर बड़ा हादसा होता है और 24 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। 150 से अधिक घायल होते हैं। जबकि सूत्रों के मुताबिक, घायलों में से 22 गंभीर हालत में हैं, जिसका मतलब है कि मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है।