GSAT-29 सफलतापूर्वक हुआ लॉन्च, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

Update:2018-11-14 20:38 IST

श्रीहरिकोटा : इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने जीएसएलवी माक-3 रॉकेट की मदद से जीसैट-29 सैटलाइट का प्रक्षेपण किया है। प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया गया। 2018 में इसरो का ये पांचवां लॉन्च है।

ये भी देखें :शशि थरूर ने PM पर की आपत्तिजनक टिप्पणी, मोदी को बताया बिच्छू के समान

ये भी देखें :मंदिर पर थरूर के विवादित बोल पर भड़के बीजेपी सांसद, बोले- वो नीच आदमी है

ये भी देखें :आम चुनाव 2019: थरूर के खिलाफ इस मलयालम सुपरस्टार को उतार सकती है BJP

ये भी देखें :विहिप: चंपत राय ने किया 25 नवंबर को अयोध्या आने का आग्रह

ये भी देखें :जेल में क्या चाहिए राम रहीम और हनीप्रीत को, चिट्ठी लिख रख दी डिमांड

क्या है खास

  1. रॉकेट में बूस्टर S200 का प्रयोग हुआ। ये बूस्टर दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा बूस्टर है।
  2. 3423 किलोग्राम वजन का यह सैटलाइट भारत का सबसे भारी सैटलाइट है।
  3. हाईथ्रोपुट कम्युनिकेशन सैटलाइट है। इसमें लगे ऑपरेशनल पेलोड्स जम्मू-कश्मीर के साथ उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में हाईस्पीड इंटरनेट सेवा देंगे।
  4. जीसैट-29 क्यू ऐंड वी बैंड्स, ऑप्टिकल कम्युनिकेशन और एक हाई रेजॉल्यूशन कैमरा भी अपने साथ ले गया है।
  5. लॉन्च होने के बाद पृथ्वी से 36,000 किमी दूर जियो स्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित किया गया है।
  6. जीएसएलवी-एमके 2 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। इसे भारत का सबसे वजनी रॉकेट माना जाता है, जिसका वजन 640 टन है।
  7. रॉकेट पूरी तरह भारत में बना है।
  8. इस पूरे प्रॉजेक्ट में 15 साल लगे हैं। इस रॉकेट की ऊंचाई 13 मंजिल के भवन के बराबर है और यह चार टन तक के उपग्रह लॉन्च कर सकता है।
  9. पहली उड़ान में इस रॉकेट ने 3423 किलोग्राम के सैटलाइट को उसकी कक्षा में पहुंचाया था।
  10. रॉकेट में स्वदेशी तकनीक से तैयार हुआ क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसमें लिक्विड ऑक्सिजन और हाइड्रोजन को ईंधन के तौर पर प्रयोग किया जाता है।

Tags:    

Similar News