लखनऊ : तबस्सुम की लोकसभा में हाजिरी यूपी से इकलौते मुस्लिम चेहरे के रूप में होगी। कैराना उपचुनाव में जीत हासिल करके यूपी का इकलौता मुस्लिम चेहरा बन गई हैं। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब कोई भी मुस्लिम महिला सदस्य लोकसभा में राज्य की ओर से नुमाइंदगी नहीं कर पाया था। ऐसे में आरएलडी के खाते में इसका श्रेय जाता है।
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ये मोदी लहर ही थी जिसके चलते यूपी से कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका था।यूपी के कैराना लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद रहे हुकुम सिंह के निधन के चलते ये सीट खाली हुई थी। बीजेपी ने इस सीट पर हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा था। विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर आरएलडी से तबस्सुम हसन थीं। तबस्सुम ने बीजेपी उम्मीदवार को करीब 50 हजार मतों से मात दी है।
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अगर ये कहें कि तबस्सुम हसन राजनीति में नया चेहरा हैं तो ये सही बात नहीं होगी 2009 में भी कैराना से लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं। ण्क परिपक्व सियासी बुनियाद पर खड़ी तबस्सुम, सांसद रह चुके अख्तर हसन की बहू और मुन्नवर हसन की पत्नी हैं। कैराना की सियासत में हसन परिवार का अपना वर्चस्व है।
यूपी की मुस्लिम सियासत
यूपी में मुसलमानों की करीब 19 फीसदी आबादी है।
प्रदेश में 20 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां 20 फीसदी से ज्यादा मुसलमान हैं
10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां 30 प्रतिशत से ज्यादा मुसलमान हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी पार्टी ने 14 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे
बहुजन समाज पार्टी ने 19 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे।
कांग्रेस ने नौ मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे।
इसके बावजूद कोई मुस्लिम जीतने में सफल नहीं हो सका था।
2014 के लोकसभा चुनाव में देश भर से कुल 22 मुस्लिम सांसद ही जीत सके थे।
2009 की लोकसभा की बात करें तो इसमें कुल 30 मुसलमान सांसद थे।
1980 में कुल 49 मुसलमान सांसद थे।