लखनऊ: यादव सिंह के सीबीआई शिकंजे में जाने के बाद समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरबपति यादव सिंह के घर से बरामद डॉक्युमेंट में प्रो. रामगोपाल यादव लिखा मिला है। 62 पेजों के डॉक्युमेंट में कई और नेताओं के नाम और नंबर लिखे हैं। वहीं, राम गोपाल यादव ने यादव सिंह से किसी तरह के रिश्तों से इनकार किया है।
बेटे पर लग चुका आरोप
-यादव सिंह मामले से राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव का नाम जुड़ चुका है।
-आरोप लगा है कि उनके बेटे ने यादव सिंह की करोड़ो की कंपनी कौड़ियों के भाव खरीदी थी।
यादव सिंह से पूछताछ जारी
-सीबीआई यादव सिंह से कई राज उगलवाना चाहती है।
-राम गोपाल यादव और दूसरे नेताओं से उसके संबंधों के बारे में भी पूछा जा रहा है।
-बताया जाता है कि उसके सपा और बपसा के कई नेताओं से करीबी थी।
इन धाराओं में केस दर्ज
-सीबीआई ने उन पर 409, 420, 466, 467, 469, 481 और एंटी करप्शन लॉ के तहत केस दर्ज किया है।
गिरफ्तारी से पहले भी कई बार सीबीआई यादव सिंह को पूछताछ के लिए सीबीआई हेडक्वार्टर बुला चुकी थी।
यादव सिंह पर ये हैं आरोप
– यादव सिंह अपनी पत्नी के नाम रजिस्टर्ड फर्म को सरकारी दर पर बड़े-बड़े व्यावसायिक प्लॉट अलॉट कराए थे।
– बिल्डरों को यही प्लॉट बाद में ऊंचे दामों में बेचे गए।
– पत्नी और तीन पार्टनर्स के जरिए 40 कंपनियां बनाकर हेराफेरी की।
– तीनों पार्टनर्स के नाम राजेंद्र मनोचा, नम्रता मनोचा और अनिल पेशावरी हैं।
– बड़े पैमाने पर इनकम टैक्स की चोरी की।
अरबों की संपत्ति हुई थी बरामद
-यादव सिंह को उत्तर प्रदेश में पैसा बनाने वाली सबसे बड़ी सरकारी मशीन कहा जाता है।
-इनकम टैक्स ने उसके ठिकानों पर छापेमारी में अरबों रुपये के बंगले, गाड़ियां, शेयर, गहने सहित करीब 800 करोड़ की संपत्ति बरामद की थी।
-नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी के इंजीनियर रहते हुए यादव सिंह की सभी तरह के टेंडर और पैसों के आवंटन बड़ी भूमिका होती थी।