माल ढुलाई की लागत कितनी होगी कम, नितिन गडकरी ने बताया है

गडकरी ने कहा, "हम लागत को 12 फीसदी के करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय माल को और प्रतिस्पर्धी बनाने में मददगार होगी।"

Update: 2017-11-04 18:32 GMT

नई दिल्ली : देश में माल ढुलाई की लागत (लॉजिस्टिक कॉस्ट) चिंताजनक स्तर तक अधिक है और सरकार तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों को परिवहन के वैकल्पिक तरीकों को विकसित कर इसमें एक तिमाही तक की कमी लाने की दिशा में काम कर रही है।

केंद्रीय नौपरिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को यह बात कही। 'वर्ल्ड फूड इंडिया 2017' में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत में ढुलाई का खर्च 18 फीसदी तक ऊंचा है, जबकि चीन में यह 8 से 10 फीसदी तक है।

गडकरी ने कहा कि सरकार तटीय परिवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों पर सड़क और रेलगाड़ी की तुलना में प्राथमिकता दे रही है, क्योंकि इसकी लागत कम होती है। उन्होंने कहा, "हम लागत को 12 फीसदी के करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय माल को और प्रतिस्पर्धी बनाने में मददगार होगी।"

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गडकरी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा, "सड़क से प्रत्येक 10 रुपये की ढुलाई लागत की तुलना में मालगाड़ी से ढुलाई का खर्च 6 रुपये और जलमार्ग से ढुलाई का खर्च 1 रुपए है। इसका मतलब यह है कि आप वर्तमान लागत के मुकाबले केवल 10 फीसदी में ही माल की ढुलाई कर सकते हैं।"

उन्होंने कहा, "हमने 111 नदियों को अंतर्देशीय जलमार्गो के रूप में विकसित करने का फैसला किया है, इनमें से 10 नदियों पर काम शुरू हो चुका है। ये जलमार्ग ढुलाई की लागत खर्च में महत्वपूर्ण कमी करेंगे।"

--आईएएनएस

 

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