दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा पर भड़का चीन, कहा- रिश्तों को हो सकता है गंभीर नुकसान

Update:2017-04-01 03:31 IST

नई दिल्ली: चीन ने शुक्रवार (31 मार्च) को भारत को एक बार फिर चेताया कि अगर उसने दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की इजाजत दी, तो द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर क्षति हो सकती है। चीन ने भारत से यह भी कहा, कि वह तिब्बत के मुद्दे पर अपने राजनीतिक संकल्पों का सम्मान करें।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कैंग ने पत्रकारों से बात करते हुए तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचल के संबंध में दावा किया कि भारत-चीन सीमा के पूर्वी सिरे पर चीन की स्थिति स्पष्ट है। वह इस खबर से गंभीर रूप से चिंतित है।

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अरुणाचल को बताया तिब्बत का हिस्सा

चीन ने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। चीनी प्रवक्ता ने कहा, 'दलाई गुट का अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहने का रिकॉर्ड है। भारत को दलाई गुट के असली व्यवहार को लेकर बहुत स्पष्ट होना चाहिए। अगर भारत दलाई लामा को इस क्षेत्र में यात्रा करने के लिए आमंत्रित करता है, तो इससे द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर क्षति पहुंचेगी।'

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महीने भर में चीन की दूसरी बार आपत्ति

गौरतलब है कि दलाई लामा 4 से 13 अप्रैल तक अरुणाचल प्रदेश का दौरा करेंगे। इस महीने में दूसरी बार है जब चीनी विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा की इस प्रस्तावित यात्रा को लेकर आपत्ति जताई है। इससे पहले चीनी मीडिया ने भी भारत को धमकी दी थी। चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने एक लेख में लिखा था कि ‘चीन की आपत्तियों के बावजूद भारत आने वाले हफ्तों में चीन-भारत सीमा पर एक विवादित क्षेत्र में दलाई लामा की मेजबानी करेगा।'

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दलाई से चिढ़ता है चीन

उल्लेखनीय है कि तिब्बत से निर्वासित नेता दलाई लामा से चीन बेहद चिढ़ता है। इसलिए वह दलाई लामा पर अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाता रहा है। लिहाजा वह नहीं चाहता कि दलाई लामा किसी भी वजह से अरुणाचल की यात्रा करें। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि इसके बावजूद भारत ने दलाई लामा को अरुणाचल दौरे का न्योता दिया।

लामा को समझते हैं कूटनीतिक उपकरण

'ग्लोबल टाइम्स के लेख में लिखा गया है कि दलाई लामा को विवादित क्षेत्र की यात्रा करने की अनुमति देने से अनिवार्य रूप से टकराव उत्पन्न होगा। क्षेत्र में अस्थिरता आएगी और भारत-चीन संबंधों में खटास पैदा होगी।' इसमें कहा गया, ‘लंबे समय से कुछ भारतीयों ने दलाई लामा को रणनीतिक परिसंपत्ति के रूप में देखा है। वे मानते हैं कि भारत दलाई मुद्दे का इस्तेमाल कर कई लाभ हासिल कर सकता है। उदाहरण के लिए, दलाई लामा मुद्दे को दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव से निपटने के लिए एक कूटनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।' लेख में ये भी लिखा गया कि ‘लेकिन वे अपने मूल हितों की रक्षा करने की चीन की प्रतिबद्धता को कम आंकने के साथ ही दलाई लामा और उनके समूह का कुछ ज्यादा ही राजनीतिक मोल लगा लेते हैं।'

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