नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान के साथ बैठक कर तेल की कीमतों की समीक्षा की। केंद्र सरकार द्वारा पिछले सप्ताह पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद कर में कटौती करने के बाद फिर तेल की कीमतों में वृद्धि जारी है। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री ने यह समीक्षा बैठक बुलाई थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "प्रधानमंत्री की सुबह की बैठक पेट्रोलियम के मसले को लेकर हुई। तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने, तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की सब्सिडी और चालू खाते का घाटा कम करने के लिए तेल का आयात घटाने के मसले पर चर्चा हुई।"
यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध चार नवंबर से लागू होगा और भारत आयात से तेल की अपनी 80 फीसदी जरूरतों की पूर्ति करता है।
पेट्रोलियम मंत्री ने एक अक्टूबर को कहा था कि देश के नई ओपन एक्रीज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) के तहत पहले दौर की बोली के माध्यम से अवार्ड किए गए 55 तेल व गैस ब्लॉक की खोज के लिए 5,900 करोड़ रुपये निवेश की प्रतिबद्धता जाहिर की गई है।
नए हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (एचईएलपी) के तहत ओएएलपी में निवेशकों को अपनी पसंद का ब्लॉक चुनने और पूरे साल एक्सप्रेशन ऑफ इंटेरेस्ट जमा करने की अनुमति होती है।
केंद्र सरकार ने चार अक्टूबर को तेल की कीमतों में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की और राज्य सरकारों से भी तेल की कीमतों पर वैट में कटौती कर लोगों को राहत देने की अपील की।
सरकार ने कहा कि तेल पर 1.50 रुपये प्रति लीटर की दर से उत्पाद कर में कटौती करने से सरकार को 10,500 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान होगा। सरकार ने रुपये प्रति लीटर की दर से तेल के दाम में कटौती का भार तेल कंपनियों को वहन करने को कहा।
सरकार ने कहा कि वह चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी रखने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
--आईएएनएस