नई दिल्ली: दुनियां में अगर गरीबी की बात हो तो सबसे पहले भारत का नाम आता है लेकिन अब महज 12 साल की बात है, साल 2030 तक भारत गरीबों का देश नहीं कहा जायेगा। 2030 तक भारत नहीं रहेगा दुनिया में सबसे गरीब आबादी वाला देश।
एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अब भारत दुनिया की सबसे बड़ी गरीब आबादी वाला देश नहीं रहा है। 'फ्यूचर डेवेलपमेंट' ब्लॉग में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीबी की श्रेणी से बाहर निकलते जा रहे हैं।
भारत का अत्यंत गरीब आबादी वाला तमगा अब मई 2018 से नाइजीरिया ने हासिल कर लिया है। भारत में बहुत तेजी से गरीबी घट रही है जो दुनिया के किसी भी देश से काफी अधिक है।
यदि भारत की ये रफ्तार ऐसे ही बरकरार रही तो वह इसी वर्ष इस दिशा में एक कदम और नीचे आ जाएगा। जिसके बाद दूसरे पायदान पर भारत की जगह कॉन्गो ले लेगा। अध्ययन में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि अत्यंत गरीबी के दायरे में वो जनसंख्या आती है जिसके पास अपने जीवनयापन के लिए रोजाना 1.9 डॉलर यानि 125 रुपये भी नहीं होते।
अध्ययन में साफ हो गया है कि भारत को साल 2030 में एक बहुत बड़ी उपलब्धि मिल जाएगी। यहां अत्यंत गरीब जनसंख्या वाले लोगों का दायरा साल 2022 तक 3 फीसदी रहने की उम्मीद है जबकि साल 2030 तक भारत से अत्यंत गरीबी पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
मई 2018 तक पता चला है कि भारत में 7 करोड़ 30 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। वहीं इनकी संख्या नाइजीरिया में 8 करोड़ 70 लाख है।
संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य 2030 तक दुनिया से गरीबी हटाना है। अब वह अपने इस लक्ष्य को हासिल भी कर रहा है। अध्ययन के अनुसार भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, फिलीपींस, चीन और पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है। जिस कारण दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया सहित प्रशांत क्षेत्रों में भी गरीबी हटने के सबूत मिल रहे हैं। दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश भारत और चीन संयुक्त राष्ट्र के इस उद्देश्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यानि इन देशों में गरीबी में गिरावट का असर वैश्विक तौर पर भी देखने को मिलेगा।
7 से 8 फीसदी की दर से विकास करना होगा।
ये सच कि देश में गरीबी लगातार घटती जा रही है लेकिन अगर 2030 तक गरीबी पूरी तरह समाप्त करनी है तो इसके लिए भारत को 7 से 8 प्रतिशत तक की दर से विकास करना होगा। सरकार को लोगों के कल्याण के लिए काम करते रहना होगा। भारत के गरीबी के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए वर्ल्ड बैंक बताता है कि 2004-2011 के बीच भारत में गरीबी की कुल आबादी 38.9 फीसदी से कम होकर 21.2 फीसदी पर आ गई। यानि अगर भारत का पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो भारत काफी तेजी से प्रगति कर रहा है।
अध्ययन से पता चलता है कि दुनिया के अत्यंत गरीब लोगों की दो तिहाई आबादी अफ्रीका में ही रहती है। अगर वहां ऐसी ही स्थिति बनी रही तो साल 2030 तक वहां हर 10 लोगों में 9 गरीब मिलेंगे।
रिपोर्ट में दी गई जानकारी से पता चलता है कि दुनिया के जिन 18 देशों में गरीबी लगातार बढ़ती जा रही है उसमें से 14 देश अफ्रीका के ही हैं। यहां 1 सितंबर 2017 तक कुल 64 करोड़ 70 लाख लोग भीषण गरीबी के चपेट में आ चुके थे। अब भारत को इस दिशा में पूरी तरह सफल होने के लिए कल्याणकारी योजनाओं सहित देश के आर्थिक विकास को और भी बढ़ाना होगा।