नया खुलासा राफेल डील- HAL तो बना ही नहीं सकता राफेल जेट

Update: 2018-09-22 04:43 GMT

नई दिल्ली: राफेल डील को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के ख़ुलासे के बाद एक और नया तथ्य सामने आया है। यूपीए सरकार जब पहली बार फ्रांस की कंपनी दसाल्ट एविएशन से राफेल विमानों की खरीद को लेकर बातचीत कर रही थी तभी हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटिड (एचएएल) और दसाल्ट के बीच भारत में इन जंगी विमानों के उत्पादन को लेकर ‘गंभीर मतभेद’ थे। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

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दरअसल, यूपीए सरकार ने 2012 में दसाल्ट एविएशन कंपनी से 126 मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बेट विमान (राफेल) खरीदने के लिए बातचीत शुरू की थी। योजना यह थी कि दसाल्ट एविएशन 18 राफेल विमान तैयार हालत में देगी जबकि कंपनी एचएएल के साथ भारत में 108 विमानों का निर्माण कराएगी। हालांकि यह करार नहीं हो पाया था।

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सूत्रों ने बताया कि 11 अक्टूबर 2012 को एचएएल ने रक्षा मंत्रालय को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में एचएएल ने दसाल्ट एविएशन के साथ काम को साझा करने को लेकर विभिन्न असहमतियों को गिनाया था। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद, जुलाई 2014 में मंत्रालय को लिखे पत्र में एचएएल ने विमानों के निर्माण के लाइसेंस के लिए दसाल्ट और एचएएल के बीच जिम्मेदारी साझा करने के एक मुख्य अनसुलझे मुद्दे को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की राय थी कि एचएएल राफेल जेट बनाने के लिए सक्षम है जो गलत थी। सूत्रों ने बताया कि जब यूपीए सरकार फ्रांसीसी कंपनी के साथ करार को लेकर बातचीत कर रही थी तब एचएएल और दसाल्ट एविएशन के बीच गंभीर मतभेद थे।

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