RBI ने कहा- हमें नहीं पता नोटबंदी से कितनी ब्लैकमनी खत्म हुई
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने संसदीय समिति को भेजे अपने जवाब में यह स्पष्ट किया कि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं है कि नोटबंदी के चलते कितनी ब्लैकमनी धन खत्म हुई।
नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने संसदीय समिति को भेजे अपने जवाब में यह स्पष्ट किया कि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं है कि नोटबंदी के चलते कितनी ब्लैकमनी धन खत्म हुई। आरबीआई ने कहा है कि उसके पास करीब 15.28 लाख करोड़ रुपए के बंद कर दिए गए 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट वापस आए हैं।
आरबीआइ ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसे ऐसी कोई सूचना नहीं है कि आगे भी नियमित अंतराल पर ऐसी नोटबंदी लागू करने की योजना बनाई जा रही है।
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बता दें कि 08 नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बंद करने का एलान किया गया था। पिछले हफ्ते ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एनुअल रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में बताया गया कि नोटबंदी के बाद 1000-500 के करीब 99 फीसदी नोट यानी 15.28 लाख करोड़ रुपए बैंकों में लौट आए हैं। इसके अलावा 1000 रुपए के 632.6 करोड़ नोटों में से 8.9 करोड़ नोट लौटकर नहीं आए।
आरबीआई ने संसदीय समिति से कहा कि कितनी ब्लैक मनी कम हुई या कितनी बेहिसाबी रकम है, इसकी उसके पास फिलहाल जानकारी नहीं है। बैंक ने इस बात की जानकारी होने से भी इनकार किया कि नोटबंदी से ऑर्गनाइज्ड-अन ऑर्गनाइज्ड सेक्टर और जीडीपी को कितना नुकसान हुआ। आरबीआई ने कहा कि 2016-17 के लिए इकोनॉमिक ग्रोथ के आंकड़े नोटबंदी के पहले के हैं। तब इंडस्ट्रियल और सर्विस सेक्टर कमजोर चल रहा था। पिछले हफ्ते इस संसदीय समिति ने आरबीआई से नोटबंदी पर ज्यादा जानकारी मांगी थी।
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सरकार नोटबंदी घोषित करने के समय से ही अपने इस रुख पर कायम है कि नोटों को चलन से बाहर करने का कदम ब्लैकमनी पर अंकुश लगाने में मददगार साबित हुआ है।
नोटबंदी और वापस आए पुराने नोटों का आंकड़ा नहीं बताने की वजह से विपक्ष आरबीआई के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए रहा है। बीते हफ्ते समिति के सदस्यों ने ड्राफ्ट रिपोर्ट को फिर से लिखने की आवाज उठाई थी।
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संसदीय समिति के सवालों का लिखित जवाब देते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि नोटों की प्रमाणिकता और गिनती की शुद्धता के सत्यापन की प्रक्रिया अभी जारी है। बैंकों और डाकघरों की ओर से लिए गए कुछ पुराने नोट अब भी करेंसी चेस्टों में पड़े हैं। उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि ब्लैकमनी के खत्म होने या बंद की जा चुकी नोटों के बदलने से कितनी अघोषित रकम हिसाब-किताब के दायरे में आई है।
आरबीआई ने अपने जवाब में वित्तीय मामलों की संसदीय समिति को बिटक्वॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी (वीसी) के खतरों की भी जानकारी दी है। आरबीआई ने कहा है कि ऐसी आभासी मुद्राओं का आतंकवादी और जालसाज मनी लांडिंग के लिए दुरुपयोग कर सकते हैं। इसलिए ऐसी मुद्राओं के उपयोगकर्ता, धारक, निवेशक और कारोबारी अपने जोखिम पर ही लेनदेन कर सकते हैं।