RBI ने रेपो रेट समेत प्रमुख ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, नहीं कम होगी आपकी EMI

Update:2016-12-07 15:02 IST

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने तमाम अनुमानों पर विराम लगाते हुए रेपो रेट समेत प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। कयास लगाए जा रहे थे कि आरबीआई बुधवार को रेपो रेट में कटौती कर सकती है, लेकिन बैंक ने इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है। लोगों को उम्मीद थी कि रेपो रेट कम होने से उनकी इएमआई में कमी आएगी, लेकिन आरबीआई ने उस उम्मीद पर पानी फेर दिया। आरबीआई के इस फैसले से सेंसेक्स और निफ्टी के शेयरों में 100-100 पॉइंट्स की गिरावट आ चुकी है।

आरबीआई की तरफ से मौद्रिक नीति कमेटी के फैसले का एलान बुधवार को किया गया। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। यानी रेपो रेट 6.25 प्रतिशत ही रहेगा। आरबीआई ने कहा कि चलनिधि समायोजन सुविधा के तहत रेपो रेट को 6.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया गया है।

बैंकों को राहत की कोशिश

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 'महंगाई को देखते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की गई थी। उसके बाद कटौती की जरूरत नहीं रह गई थी। हालांकि, बैंकों को राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने 100 प्रतिशत सीआरआर को वापस ले लिया।' आरबीआई गर्वनर ने कहा कि 'अब बैंक पर सीआरआर का कोई बोझ नहीं होगा।' जानकार बता रहे हैं कि इसका पॉजिटिव इफेक्ट बैंकों पर होंगे।

ब्‍याज दरों में कटौती की थी उम्‍मीद

आरबीआई गवर्नर उ‍र्जित पटेल की अध्‍यक्षता वाली कमेटी से ब्‍याज दरों में कटौती की उम्‍मीद की जा रही थी। पीएम मोदी द्वारा 8 नवंबर को किए गए नोटबंदी के फैसले से भारत कैश-आधारित अर्थव्‍यवस्‍था को चोट पहुंची है। ऐसे में अगर 25 बेसिस प्‍वाइंट की कटौती भी की जाती तो रेपो रेट करीब 6 प्रतिशत कम हो जाता। जो सितंबर 2010 के बाद न्‍यूनतम स्‍तर पर होता। रेपो रेट में कटौती से ग्राहकों के लिए ईएमआई कम हो सकती थी।

विशेषज्ञों की थी सरकार

विशेषज्ञों ने चेताया है कि नोटबंदी का असर 2018 तक बरकरार रह सकता है। इसलिए वित्‍त क्षेत्र के विशेषज्ञों की नजरें बचे हुए वित्‍तीय वर्ष के लिए आरबीआई के एलान पर थीं। अगर आरबीआई दरों में कटौती करता तो यह अर्थव्‍यवस्‍था को समर्थन देने की केंद्रीय बैंक की प्रतिबद्धता दर्शाता।

7.3 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी अर्थव्‍यवस्‍था

गौरतलब है कि जुलाई और सितंबर के बीच हमारी अर्थव्‍यवस्‍था 7.3 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है। वैश्विक स्‍तर पर कीमतें 30 नवंबर के बाद से तेजी से बढ़ी हैं। ओपेक देशों ने उत्‍पादन कम करने का एलान कर दिया है। इसके घरेलू वृद्धि पर असर को लेकर आर्थिक विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है।

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