CM शिवराज की 'गांधीगिरी': किसानों से होगी सीधी बात, शांति बहाली तक करेंगे उपवास

Update:2017-06-10 04:48 IST

भोपाल: मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के चलते बिगड़े हालात पर काबू के मकसद से प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किसानों और प्रदेश की जनता से सीधे बात करने का फैसला किया है। साथ ही सीएम ने राज्य में शांति बहाल होने तक उपवास करने का फैसला किया है।

सीएम आवास पर आयोजित एक स कॉन्फ्रेंस में सीएम शिवराज ने कहा, कि वह शनिवार से भोपाल के भेल दशहरा मैदान में लोगों से सीधे मुलाकात करेंगे। हालांकि, इस दौरान उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, कि आंदोलन में हिंसा भड़का रहे अराजक तत्वों से सरकार सख्ती से निपटेगी।

भेल दशहरा मैदान से ही सरकार चलाऊंगा

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'मैं पत्थर दिल इंसान नहीं हूं, चर्चा के लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं। शनिवार (10 जून) को भेल दशहरा मैदान में सुबह 11 बजे से बैठूंगा, वहीं से सरकार चलाऊंगा। न वल्लभ भवन, न सीएम हाउस में काम करूंगा, बल्कि मैदान से ही काम करते हुए अनिश्चितकालीन अनशन करूंगा।'

अराजक तत्वों से निपटना चुनौती है

इस दौरान सीएम ने किसान आंदोलन को कथित तौर पर भड़का रहे लोगों को चेतावनी भी दी। कहा, 'अराजक तत्वों से निपटना चुनौती है। कानून-व्यवस्था की स्थापना ही हमारी प्राथमिकता है। कुछ लोगों ने युवाओं को पत्थर सौंप दिए हैं।'

अधिकतर किसान समय पर दे रहे पैसे

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य के किसानों की समस्या पर बात करते हुए सीएम बोले, '75 फीसदी किसान समय पर पैसा दे रहे हैं। जो 25 प्रतिशत नहीं दे पा रहे उनके लिए समाधान ढूंढा जा रहा है।' उन्होंने बताया कि रबी, खरीफ की फसलों की कीमत तय करने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया जा रहा है।

गरीबों को 2 रुपए किलो देंगे प्याज

सीएम चौहान ने कहा, 'किसानों की मांग पर अब हमने फैसला लिया है कि उन्हें खरीफ और रबी की फसल के लिए लोन अलग-अलग नहीं एक साथ दिया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश सरकार किसानों से प्याज 8 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदकर जान वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों के जरिए गरीब उपभोक्ताओं को 2 रुपए प्रति किलो की दर से देगी।'

...ताकि किसानों को मिले पूरा दाम

सीएम शिवराज ने बताया, कि 'तुअर, मूंग और उड़द की खरीदी एक ही केंद्र से होगी, जिसके लिए 80 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। 30 जून तक एक से डेढ़ लाख मीट्रिक टन तुअर खरीदी संभव है।' उन्होंने बताया कि 'किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए दाल का आयात नहीं करने का फैसला किया गया है ताकि किसानों को उनकी उपज का पूरा दाम मिल सके।'

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