नई दिल्ली: अब तलाक का इंतजार कर रहे जोड़े छह महीने पहले भी इस बंधन से मुक्त हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के एक मामले की सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया कि 'विवाह बंधन में बंधे जो जोड़े आपसी सहमति से अलग होना चाहते हैं, उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत 'कूलिंग ऑफ पीरियड' के छह महीनों के प्रावधान में छूट देनी चाहिए।'
बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला दिल्ली के एक जोड़े के तलाक के मामले में आया है। यह जोड़ा बीते 8 साल से अलग रह रहा था और आपसी सहमति से तीस हज़ारी कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन दिया था।
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अगर जज चाहें तो...
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और यूयू ललित की बेंच ने इस बारे में कहा, कि 'अंतिम आदेश के लिए 6 माह का समय लेना सिविल जज पर निर्भर होगा। अगर जज चाहें तो तुरंत तलाक का आदेश दे सकते हैं।
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1976 में जोड़ा गया था 'कूलिंग ऑफ पीरियड'
गौरतलब है, कि हिंदू विवाह अधिनियम में 1976 में हुए संशोधन के तहत आपसी सहमति से तलाक के मामले में छह महीने के 'कूलिंग ऑफ पीरियड' जोड़ा गया था। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, छह महीने की अवधि सेफगार्ड के तौर पर तय की गई थी। ताकि जल्दबाजी में ऐसा-वैसा कोई फैसला ना हो जाए, लेकिन जब आपसी सहमति से ही संबंध विच्छेद हो रहा है तो एक साल भी काफी होता है।
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