रेप-मर्डर केस में काटजू के FB पोस्ट को SC ने माना रिव्यू पिटीशन, डिबेट के लिए बुलाया
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू को सौम्या रेप और मर्डर केस में कोर्ट के फैसले की आलोचना करने पर समन जारी किया है। कोर्ट ने उनसे व्यक्तिगत रूप से पेश होने और कानून को लेकर कौन सही है, इस पर डिबेट करने को भी कहा है। कोर्ट ने काटजू के फेसबुक पोस्ट को रिव्यू पिटीशन माना है।
कोर्ट ने पहली बार इस तरह से समन जारी किया है। जस्टिस रंजन गोगोई, पीसी पंत और यूयू ललित की बैंच ने मार्कंडेय काटजू के ब्लॉग पर संज्ञान लेते हुए यह समन जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने काटजू को बहस के लिए बुलाया
काटजू ने अपने ब्लॉग में सौम्या रेप और मर्डर केस में कोर्ट के फैसले की आलोचना की थी। उन्होंने लिखा था कि यह फैसला एक बड़ी गलती है और दशकों तक कानून की दुनिया में रहे जजों से इस तरह की उम्मीद नहीं थी। बैंच ने महसूस किया कि वे जस्टिस काटजू का सम्मान करते हैं। इसलिए चाहते हैं कि वे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में आएं और खुली अदालत में बहस करें। साथ ये बताएं कि उन्हें ऐसा क्यों लगा कि उनका फैसला संवैधानिक रूप से गलतियों से भरा था।
ब्लॉग में ये लिखा था काटजू ने
बैंच ने सौम्या केस में दोषी गोविंदस्वामी की फांसी की सजा को सबूतों की कमी के आधार पर रद्द कर दिया था। इसके बाद जस्टिस काटजू ने 17 सितंबर को अपने ब्लॉग में लिखा था कि बैंच ने मान लिया कि सौम्या ट्रेन से कूदी थी ना कि गोविंदस्वामी ने उसे धक्का दिया था। उन्होंने लिखा, 'लॉ कॉलेज का एक छात्र भी जानता है कि अफवाही सबूत अस्वीकार्य होते हैं।' ब्लॉग में जस्टिस काटजू ने फैसले पर खुली अदालत में बहस करने की जरूरत भी बताई थी।
क्या है सौम्या मर्डर केस?
एक फरवरी 2011 को केरल में सौम्या (23 वर्षीय) के साथ रेप हुआ था। त्रिशूर स्थित फास्ट ट्रैक अदालत ने गोविंदास्वामी को मौत की सजा सुनाई थी। बाद में केरल हाईकोर्ट ने उसकी मौत की सजा को बहाल रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में कहा था कि आरोपी का इरादा लड़की की हत्या का नहीं था। कोर्ट ने कहा, यह साबित नहीं हुआ है कि आरोपी का इरादा हत्या करने का था। इसलिए उसे हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।