नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विपक्षी एकता के प्रयास पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरे प्रति घृणा इन्हें बांधे रखने का एकमात्र कारक है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अगले लोकसभा चुनाव में लोग भाजपा को जनादेश देकर दोबारा सत्ता में लाएंगे। प्रधानमंत्री ने 'स्वराज्य' पत्रिका को दिए साक्षात्कार में विपक्षी दलों के महागठबंधन के गठन पर कहा कि इस तरह के प्रयास राष्ट्रीय हित के लिए प्रेरित नहीं होते, बल्कि खुद को राजनीति में बनाए रखने और सत्ता हासिल करने के लिए होते हैं।
मोदी ने कहा, "विपक्ष में कोई महागठबंधन नहीं है। यहां केवल प्रधानमंत्री बनने की महादौड़ चल रही है। राहुल गांधी कहते हैं कि वह प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस सहमत नहीं है। ममता जी प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं, लेकिन वाम दल एक समस्या है। समाजवादी पार्टी सोचती है कि उनका नेता सबसे बेहतर है और वह प्रधानमंत्री बनने का हकदार है। पूरा ध्यान सत्ता की राजनीति पर है न कि लोगों की प्रगति पर।"
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उन्होंने कहा, "मोदी के प्रति घृणा विपक्ष को बांधे रखने का एकमात्र कारक है।"
प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि इन दलों के नेताओं की आपसी नापसंदगी और अविश्वास कितने समय तक एक-दूसरे को साथ रख सकता है।
उन्होंने कहा, "वह पश्चिम बंगाल और केरल जैसे विभिन्न राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ प्रत्यक्ष और कड़े मुकाबले में शामिल हैं। पिछली दफा इन दलों ने उत्तर प्रदेश (1993) में सरकार का गठन किया था, जो दो साल भी नहीं चल सका था। इस तरह की अस्थिरता हमारे राष्ट्र की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।"
प्रधानमंत्री ने विपक्ष की एकजुटता के प्रयासों की तुलना 1977 और 1989 के चुनाव के समय विपक्ष की पहल से करने को सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि 1977 में आपातकाल के बाद लोकतंत्र को बचाने के लिए विपक्षी दल साथ आए थे। 1989 में बोफोर्स से जुड़े भ्रष्टाचार ने पूरे देश को आहत किया था।
मोदी ने कहा कि आज जो गठबंधन की बात हो रही है, उसका देशहित से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह गठबंधन अपने अस्तित्व और सत्ता की राजनीति से प्रेरित है। उनके पास मोदी को हटाने के अलावा कोई एजेंडा नहीं है।
मोदी ने कहा कि प्रत्येक गठबंधन को एक ठोस कारक और नेतृत्वधारी पार्टी की जरूरत होती है, लेकिन कांग्रेस महज एक क्षेत्रीय पार्टी बनकर रह गई है।
उन्होंने कहा, "वे पंजाब, मिजोरम और पुडुचेरी में सत्ता में हैं। दिल्ली, आंध्र प्रदेश और सिक्किम विधानसभाओं में उनका कोई प्रतिनिधि नहीं है। उत्तर प्रदेश और बिहार में उनकी संख्या को सभी जानते हैं। इसलिए इस गठबंधन का मजबूत कारक कौन है।"
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पार्टी के पचमढ़ी सम्मेलन में गठबंधन राजनीति पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। सोनिया ने कहा था कि गठबंधन का दौर बीत चुका है।
मोदी ने कहा, "कांग्रेस अब पचमढ़ी के अहंकार से सहयोगियों की तलाश में निकल पड़ी है। वह अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। यह भारत के लोगों के कारण हुआ, जिन्होंने कांग्रेस को व्यापक रूप से खारिज कर दिया।"
कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (सेकुलर) के गठबंधन को बिना विचारधारा और अवसरवादी करार देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के गठबंधन अराजकता की गारंटी देते हैं और विकास का मुद्दा पीछे चला जाता है।
उन्होंने कहा, "अगले आम चुनाव में लोगों के सामने एक तरफ सरकार व विकास होगा और दूसरी तरफ अराजकता।"
यह पूछे जाने पर कि उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) कमजोर हुआ है, जिसपर उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, "आज, चीजें पहले से बेहतर हुई हैं। राजग 20 दलों का एक विशाल और खुशहाल परिवार है। वह विभिन्न राज्यों में मजबूत गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है।"
उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा अपने बूते पर आसानी से सरकार बना सकती थी, लेकिन उसने राजग सहयोगियों को साथ लेकर चलने का फैसला किया और उन्हें सरकार का हिस्सा बनाया।
मोदी ने कहा, "राजग हमारी मजबूरी नहीं है। यह विश्वास का एक सूत्र है। एक विशाल और विविध राजग भारत के लोकतंत्र के लिए अच्छा है।"
उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव में विकास और अच्छे शासन के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी।