UP चुनाव: थम गया 7 जिलों की 40 सीटों पर प्रचार, सपा पर गढ़ बचाने की होगी चुनौती
लखनऊ: यूपी में चल रहे विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 40 सीटों पर चुनाव प्रचार शाम 5 बजे थम गया। वाराणसी और मिर्जापुर मंडल की इन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
पीएम नरेंद्र मोदी खुद 4 मार्च से वाराणसी में कैंप किए हुए थे। चूंकि वो वाराणसी से सांसद हैं, इसलिए आखिरी चरण का ये चुनाव उनके लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र और जौनपुर जिले की इन सीटों पर सपा की साइकिल पिछले विधानसभा चुनाव में पूरे रफ्तार से दौड़ी थी।
सपा पर गढ़ बचाने की चुनौती
सपा ने मिर्जापुर मंडल की कुल 12 विधानसभा सीटों में 8 पर कब्जा किया था। दो सीटें बसपा, एक कांग्रेस और एक निर्दलीय के खाते में गई थी। वाराणसी मंडल के चार जिलों में सपा को 15, बसपा को 3, बीजेपी को 4, कांग्रेस को 2 और कौमी एकता दल को 1 सीट मिली थी। मतलब इन 40 में 27 सीटें सपा के खाते में गई थी। कांग्रेस के साथ अब गठबंधन को भी जोड़ दिया जाए तो सीटों की कुल संख्या 30 हो जाती है।
'दादा' को बगल करने का होगा खामियाजा?
जौनपुर की शाहगंज सीट से सपा सरकार में मंत्री शैलेन्द्र यादव मैदान में हैं, तो वाराणसी की दक्षिण सीट से कांग्रेस के पूर्व सांसद राजेश मिश्र अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बीजेपी ने यहां से नीलकंठ तिवारी को मैदान में उतारा है। इस सीट से बीजेपी के श्यामदेव राय चौधरी लगातार सात बार से जीतते रहे हैं। लेकिन बीजेपी आलाकमान ने उनकी दावेदारी को इस बार नकार दिया।
बसपा की किस्मत मुख्तार बंधुओं के भरोसे
गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से मुख्तार अंसारी के भाई सिबगतुल्ला अंसारी मैदान में हैं। बीजेपी ने उनके खिलाफ कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय को मैदान में उतारा है। मुख्तार अंसारी, बीजेपी विधायक रहे कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं। अंतिम चरण का मतदान 8 मार्च को होना है जिसमें 535 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।