वाराणसीः देश में अमन,चैन ,एकता और अखंडता की दुआ के साथ 14 अप्रैल को ख्वाजा गरीब नवाज़ की मज़ार पर चादर चढ़ाई जाएगी। जब भी देश की अखंडता पर किसी तरह की आंच आती है, वाराणसी की गंगा जमुनी-तहजीब ने उसे बचाने की सबसे पहले पहल की है। साथ ही देश में एकता और अखंडता का पैगाम दिया है। ऐसे ही एक पैगाम के साथ राष्ट्रीय बुनकर एक्शन कमेटी, काशी के दस्तकारों और बुनकर समाज ने देश की अखंडता के लिए अजमेर शरीफ ख्वाजा गरीब नवाज़ को चढ़ाई जाने वाली चादर को तिरंगे का रूप दिया है। इस शांति और अमन के पैगाम का यह 21वां साल है।
कौमी एकता को दे रहे बढ़ावा
कभी-कभी इस एकता पर कुछ लोभियों के फायदे की सोच की वजह से संकट आते है और देश के समझदार नागरिक आपस में एकजुटता दिखा कर खत्म करते है। ऐसे ही कौमी एकता के पैगाम के साथ वाराणसी के दस्तकार और बुनकर पिछले 21 सालों से ख्वाजा गरीब नवाज़ की मज़ार पर तिरंगा चादर चढ़ाते आ रहे है। इस बार भी यह चादर शहर के बड़ी बाज़ार स्थित क़ाज़ीसद्दुल्लापुर मोहल्ले में पूरी शिद्दत के साथ बनाई जा रही है।
क्या कहते हैं राष्ट्रीय बुनकर एक्शन कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष?
सरफ़राज़ अहमद ने कहा "कौमी एकता, देश की अखंडता और आतंकवाद से मुक्ति का पैगाम हमारे प्रधानमंत्री ने दिया है। हम उसी को आगे बढ़ाने के लिए यह चादर बनवा रहे हैं। यह चादर हम पहले दिल्ली ले जाते है, जहां गांधी जी की समाधि पर शांति सभा और अमर जवान ज्योति पर भी खेराजे अकीदत पेश करते हैं। उसके बाद हम चादर को अजमेर शरीफ ले जाते हैं। यह चादर बिना पैसे के बना रहे हैं। इसकी 20 फुट लंबाई और 11 फुट चौड़ाई है। इसे दिन-रात एक करके महिलाएं पिछले एक महीने से बना रही हैं।