विदाई भाषण में भी मुस्लिमों पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने दी नसीहत

Update:2017-08-10 15:27 IST

नई दिल्ली: मुस्लिमों के बीच डर और असुरक्षा के माहौल की बात कहने वाले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने गुरुवार (10 अगस्त) को संसद में केंद्र सरकार को एक बार फिर इशारों-इशारों में नसीहत दी। अपने कार्यकाल के आखिरी दिन हामिद अंसारी ने राज्यसभा में कहा, कि 'किसी भी लोकतंत्र की पहचान उसमें अल्पसंख्यकों को मिली सुरक्षा से होती है।'

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी बोले, 'मैंने 2012 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हवाले से कुछ कहा था। आज भी मैं उनके शब्दों को ही ले रहा हूं। किसी लोकतंत्र की पहचान इससे होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा मिली हुई है? लोकतंत्र में अगर विपक्षी समूहों को स्वतंत्र होकर और खुलकर सरकार की नीतियों की आचोलना करने की इजाजत न हो, तो वह अत्याचार में बदल जाती है।'

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लोकतंत्र की सफलता चर्चा में है

उपराष्ट्रपति अंसारी ने कहा, 'साथ में अल्पसंख्यकों की जिम्मेदारी भी जरूरी है। उनके पास आलोचना का अधिकार है लेकिन उस अधिकार का मतलब यह नहीं है कि संसद को बाधित करें।' अंसारी बोले, 'लोकतंत्र की सफलता चर्चा में है न कि चर्चा को बाधित करने में।'

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दिखा शायराना अंदाज

उपराष्ट्रपति के विदाई भाषण में उनका शायराना अंदाज भी दिखा। अपने संबोधन में उन्होंने राज्यसभा के सदस्यों को धन्यवाद कहा और आने वाले भविष्य की शुभकामनाएं दीं। भाषण के अंत में अंसारी ने कहा, 'आओ कि आज खत्म करें दास्ताने इश्क, अब खत्म आशिकी के फसाने सुनाएं हम..।'

बता दें, कि हामिद अंसारी ने बतौर उपराष्ट्रपति लगातार दो कार्यकाल पूरे किए। वह पहली बार साल 2007 में उपराष्ट्रपति बने थे। बाद में 2012 में भी वह दोबारा उपराष्ट्रपति चुने गए।

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