Blue Light Blocking Glass: कोई अलग फायदा नहीं है ब्लू लाइट ब्लॉकिंग चंश्मों का

Blue Light Blocking Glass: मार्केटिंग की वजह से नीली रोशनी वाले चश्मे पिछले कुछ वर्षों में इस तर्क के साथ लोकप्रियता हासिल किये हुए हैं कि वे हमारी आंखों को स्क्रीन के उपयोग से बचाते हैं।

Update:2023-08-20 16:50 IST
Blue Light Blocking Glass (photo: social media )

Blue Light Blocking Glass: आप चश्मा बनवाने जाएँ तो दूकानदार अलग अलग एक्स्ट्रा फायदों वाले लेंस पेश कर देते हैं। इनमें ब्लू लाइट ब्लॉकिंग ग्लास यानी नीली रोशनी वाले लेंस भी शामिल होते हैं। दूकानदार बताते हैं कि ऐसे ब्लू ग्लास से मोबाइल, कम्प्युटर, लैपटॉप आदि से निकलने वाली नीली रोशनी से बचाव मिलता है और ऑंखें खराब नहीं होतीं। मार्केटिंग की वजह से नीली रोशनी वाले चश्मे पिछले कुछ वर्षों में इस तर्क के साथ लोकप्रियता हासिल किये हुए हैं कि वे हमारी आंखों को स्क्रीन के उपयोग से बचाते हैं। लेकिन एक नए विश्लेषण से पता चलता है कि ब्लू ग्लास हमारी आंखों की सेहत के लिए उतने फायदेमंद नहीं हैं जितना बताया जाता है।

एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने ‘कोक्रेन डेटाबेस ऑफ़ सिस्टमैटिक रिव्यूज़ जर्नल’ में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए है। निष्कर्ष ये है कि नीली रोशनी को फिल्टर करने के लिए बाजार में उतारे गए चश्मे से आंखों के तनाव या नींद की गुणवत्ता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। शोध समीक्षा की वरिष्ठ लेखिका मेलबर्न विश्वविद्यालय, विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया में प्रोफेसर लौरा डाउनी ने कहा - हमने पाया कि कंप्यूटर के उपयोग से जुड़ी आँखों की थकान को कम करने के लिए ब्लू-लाइट फ़िल्टरिंग चश्मे के लेंस का उपयोग करने से गैर-ब्लू-लाइट फ़िल्टरिंग लेंस की तुलना में कोई फायदा नहीं हो सकता है।" उन्होंने कहा -फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं है कि ये लेंस नजर की गुणवत्ता या नींद से संबंधित परिणामों को प्रभावित करते हैं या नहीं, और लंबी अवधि में रेटिना की सेहत पर क्या प्रभाव है। लेकिन लोगों को ऐसा चश्मा खरीदने का निर्णय लेते समय इन निष्कर्षों के बारे में पता होना चाहिए।

बता दें कि कंप्यूटर स्क्रीन और स्मार्टफ़ोन से निकलने वाली नीली रोशनी, आँखों को उत्तेजित करती है, जिससे नींद में समस्या हो सकती है। महामारी के दौरान डॉक्टरों ने बताया था कि आंखों पर तनाव सहित कंप्यूटर के उपयोग से संबंधित दृष्टि समस्याओं में वृद्धि हुई है, जिससे सिरदर्द, माथे और आंखों के आसपास दर्द और आंखों के पीछे दर्द, साथ ही सूखी आंखें और संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।

पहले भी उठे हैं सवाल

नीली रोशनी रोकने वाले चश्मे या फिल्टर के विक्रेता इन समस्याओं के समाधान का वादा तो करते हैं लेकिन विशेषज्ञों ने पहले भी कई बार उनकी प्रभावशीलता के बारे में संदेह जताया है। इस साल की शुरुआत में, ऑप्टोमेट्रिस्ट डॉ. रॉबर्ट जॉनसन ने बताया था कि आँखों पर स्क्रीन के प्रभाव चिंताजनक हैं हैं, लेकिन नीली रोशनी अवरोधक इसका जवाब नहीं हैं। उन्होंने कहा - यह ब्लू-ब्लॉकिंग स्थिति मूल रूप से शुरू से ही फर्जी रही है। यह विज्ञापन से आने वाली बेतुकी बातों में से एक है। हालांकि नीली बत्ती अवरोधक कुछ नहीं कर सकते, लेकिन वे आपको नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं।

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