कोरोना ने बदला रिटेल बिजनेस

कोरोना वायरस ने रिटेल बिजनेस के ट्रेंड पर प्रभाव डाला है। अब लोग ‘मिनिमलिस्ट’ यानी न्यूनतम आवश्यकताओं वाला जीवन जीना पसंद करेंगे। फास्ट फैशन और आवेग में आ कर की गई खरीदारी की बजाय बेहतर क्वालिटी को तरजीह दी जाएगी।

Update: 2020-05-22 18:01 GMT

लखनऊ: कोरोना वायरस ने रिटेल बिजनेस के ट्रेंड पर प्रभाव डाला है। अब लोग ‘मिनिमलिस्ट’ यानी न्यूनतम आवश्यकताओं वाला जीवन जीना पसंद करेंगे। फास्ट फैशन और आवेग में आ कर की गई खरीदारी की बजाय बेहतर क्वालिटी को तरजीह दी जाएगी। इसके अलावा ऑनलाइन ख़रीदारी में अच्छी ख़ासी बढ़ोतरी होगी। लेकिन इसके साथ लोग पारंपरिक स्टोर्स में जाना भी जारी रखेंगे। इसकी वजह है कि कोरोना काल में इन्हीं पारंपरिक स्टोर्स ने ज्यादा मदद की थी।

सर्वे के अनुसार 38 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अपनी ज़्यादातर शॉपिंग ऑनलाइन करेंगे। जबकि 49 फीसदी ने कहा कि वे ऑनलाइन शॉपिंग तो ज्यादा करेंगे ही लेकिन दुकानों में जाना भी जारी रखेंगे। 13 फीसदी लोगों ने अभी इस बारे में कोई राय नहीं बनाई है।

नकदी की वर्तमान कमी के चलते अभी लोग ज्यादा मात्र में लक्जरी आइटम खरीदने से परहेज करेंगे लेकिन अच्छी क्वालिटी के प्रॉडक्ट खरीदने से पीछे नहीं हटेंगे। ऐसे में जो ब्रांड उचित कीमत में फील गुड आइटम बेचेंगे वो फायदे में रहने वाले हैं।

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अब वर्क फ्राम होम का जमाना आ गया है सो ऐसे में कामकाजी लोग, खासकर शहरी प्रोफेशनल्स आरामदेह नॉन फॉर्मल कपड़े ज्यादा खरीदेंगे। अब वस्त्र कंपनियों के लिए एक नया सेगमेंट बन कर तैयार हो गया है।

कोविड-19 काल में हाइजीन और फिजिकल डिस्टेन्सिंग टॉप पर रहेगी। ड्रेस और फुटवियर स्टोर के बारे में किए गए सर्वे में 96 फीसदी लोगों ने कहा कि फुटवियर शॉप में डिस्पोजबल फुट लाइनर जरूर होना चाहिए।

- 96 फीसदी लोगों का कहना था कि बिलिंग काउंटर के पास लोगों को कहाँ खड़ा होना है इसका निशान फर्श पर बना होना चाहिए। इससे डिस्टेन्सिंग बनी रहेगी।

- 94 फीसदी लोगों ने कहा कि अब कपड़ों, कॉस्मेटिक्स और एसेसेरीज़ के ट्रायल की अनुमति नहीं होनी चाहिए।

- 84 फीसदी लोगों ने कहा कि कुछ घंटों के अंतराल पर फर्श के अलावा उन सभी जगहों की सफाई होनी चाहिए जहां लोग छूते हैं। साथ ही दिन में दो बार स्टोर के भीतरी हवा का सैनिटाइजेशन किया जाना चाहिए।

- 81 फीसदी लोगों ने कहा कि दरवाजे खिड़कियाँ खुले रहने चाहिए और एयरकन्डीशनिंग बंद रहनी चाहिए।

- 76 फीसदी लोगों का कहना है कि अब सिर्फ डिजिटल पेमेंट होना चाहिए।

- 71 फीसदी लोगों का मानना है कि अब स्टोर्स में सेल्फ सर्विस ही होनी चाहोए और स्टाफ न्यूनतम होना चाहिए।

 

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ब्यूटी सैलून

ब्यूटी पार्लर या सैलून जाने वाले उपभोक्ताओं से पूछा गया तो 57 फीसदी ने कहा कि वे पहले की तरह ब्यूटी सैलून जाएंगे जबकि 39 फीसदी का कहना था कि वे पहले की तुलना में अब कम ही जाएंगे। 46 फीसदी लोगों का कहना है कि वे पहले की तरह ग्रूमिंग सेवाओं पर खर्च करते रहेंगे जबकि 30 फीसदी ने इस मद में कटौती की बात कही। लॉकडाउन में लंबा समय बिताने से लोगों की नेचुरल, लोकल और न्यूनतम में रहने की आदत पड़ गई है और इसमें अच्छा भी लग रहा है। ऐसे में अगर ब्यूटी और सेहत संबंधी प्रोडक्टस की बात करें तो लोग अपनी सेहत और चेहरा-मोहरा इम्प्रूव करने के लिए समय और पैसा इन्वेस्ट करने के प्रति ज्यादा झुकाव रखने लगे हैं। चूंकि वायरस की दहशत अभी लंबे समय तक रहने वाली है सो लोग अपने घर ही विभिन्न सेवाएँ लेने में ज्यादा रुचि लेंगे।

- 85 फीसदी लोगों का कहना है कि किसी सैलून या पार्लर में सभी सतह और उपकरणों को हर आधे घंटे में सैनिटाइज़ करना होगा।

- 85 फीसदी लोगों का कहना है कि समस्त स्टाफ को मास्क और ग्लव्स पहनना चाहिए।

- 78 फीसदी ने कहा कि कुर्सियों के कवर डिस्पोज़बल होने चाहिए, सभी एप्रन प्रत्येक ग्रकह के लिए बदल दी जानी चाहिए।

- 68 फीसदी लोगों ने कहा कि सिर्फ पूर्व अपाइंटमेंट से ही पार्लर में ग्राहकों को प्रवेश दिया जाना चाहिए।

- 65 फीसदी लोगों ने कहा कि पार्लर या सैलून में आने वाले हर ग्राहक का बॉडी टेम्परेचर लिया जाना चाहिए।

सर्वे में निकल कर आया है कि अधिकांश लोग (59 फीसदी) का मानना है कि अब किसी रेस्तरां आदि में जाने से पहले उस जगह का चुनाव बहुत सोच समझ कर करेंगे। लोगों ने कहा है कि अब भरोसेमंद और प्रतिष्ठित ब्रांड को लोकल वेंडरों और स्ट्रीट फूड की अपेक्षा ज्यादा तरजीह देंगे।

वैसे अब लोग बाहर जाना भी बहुत पसंद नहीं करेंगे। सर्वे में 53 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अब पहले की तुलना में कम बाहर जाएंगे और 44 फीसदी ने कहा कि वो अब खर्च भी कम करेंगे।

 

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शॉपिंग

जहां तक शॉपिंग की बात है तो लोगों में इसको लेकर कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आया है। लोग अब भी शॉपिंग के लिए बाहर जाना पसंद करेंगे। सर्वे में 49 फीसदी लोगों का कहना था कि वे पहले की तरह शॉपिंग करने बाहर जाएंगे। वहीं 41 फीसदी लोगों ने कहा कि वे पहले की अपेक्षा अब कम ही शॉपिंग करेंगे। हैरानी की बात है कि 10 फीसदी लोगों ने पहले की तुलना में पोस्ट-कोविड काल में शॉपिंग करने के लिए ज्यादा बाहर जाने की बात कही। 48 फीसदी लोगों ने कहा कि जब कोविड-19 की स्थिति नियंत्रण में आ जाएगी तो वे पहले जैसी शॉपिंग रूटीन में आ जाएंगे। 43 फीसदी लोगों का कहना था कि वे पहले की अपेक्षा अब कम ही शॉपिंग के लिए बाहर निकलेंगे।

बात खर्चे की

फैशन और कॉस्मेटिक पर खर्चे के बारे में पूछे जाने पर 40 फीसदी लोगों का जवाब था कि वे पहले की तुलना में अब कम खर्चा करेंगे। 36 फीसदी लोगों ने कहा कि वे पहले की तरह ही खर्च करते रहेंगे। 14 फीसदी लोग अभी ऊहापोह की स्थित में हैं।

ये ऑनलाइन सर्वे अग्रणी मार्केट रिसर्च कंपनी रेड क्वांटा ने 12 अप्रैल से 27 अप्रैल के बीच देश के 72 शहरों में कराया और अलग अलग उम्र के 1921 लोगों से सवाल पूछे।

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