सिर्फ ढाई मिनट में पता चल जाएगा आपको ब्रेन ट्यूमर ​है या नहीं, यहां जानें कैसे

वैज्ञानिकों ने 415 मरीजों 25 लाख सैंपल को कंप्यूटर न्यूराॅल नेटवर्क के हिसाब से तैयार किया। उसे 13 श्रेणियों में बांटा। जिसमें मैलिंगनेट ग्लियोमा, लिंफोमा, मेटास्टिक ट्यूमर और मेनिनजियोमा ट्यूमर शामिल थे।

Update: 2020-02-15 11:55 GMT
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योगेश मिश्र

लखनऊ: आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआई) की दखल चिकित्सा के क्षेत्र में कई नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। अब ब्रेन ट्यूमर की पहचान एआई के मार्फत ढाई मिनट से कम समय में हो सकेगी। पहले इसकी पहचान करने में 30 से 45 मिनट तक समय लग जाता था और पैथालाॅजिस्ट ही पहचान कर सकता था।

अमेरिका के न्यूयार्क यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन और लैनगोन अस्पताल के वैज्ञानिकों ने ढाई मिनट से कम समय में जटिल ब्रेन ट्यूमर की पहचान किए जाने के बाबत तैयार किए गए एआई की जानकारी नेचर मेडिसिन नामक पत्रिका से सामने आई है।

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शोधकर्ता डाॅ. डेनियल ओरिंगर बताते हैं कि कुछ ब्रेन ट्यूमर इतने जटिल होते हैं कि उनकी पहचान मुश्किल होती है। इस जटिल ब्रेन ट्यूमर का पता एआई लगा देता है। 40 फीसदी ब्रेन कैंसर की पहचान समय से हो जाए तो इलाज संभव है। 50 फीसदी रोगियों में ब्रेन ट्यूमर की पहचान देरी से हो पाती है।

ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों में सिर में दर्द रहना, झटके आना, लड़खड़ाना,संतुलन न बना पाना, चलने-फिरने में दिक्कत महसूस होना, बोलने में तकलीफ होना और अचानक दिखाई देने में दिक्कत होती है। डाॅ. आरिगर द्वारा तैयार की गई एआईयुक्त इमेजिन टेक्नालाॅजी को स्टीम्युलेटेड रमन हिस्टोलाॅजी (एआरएच) नाम दिया गया है। इस प्रक्रिया में लेजर लाइट का प्रयोग किया जाता है। जो मस्तिष्क में ट्यूमर के चलते बिखर जाती है। इसी से कैंसर की पहचान होती है।

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वैज्ञानिकों ने 415 मरीजों 25 लाख सैंपल को कंप्यूटर न्यूराॅल नेटवर्क के हिसाब से तैयार किया। उसे 13 श्रेणियों में बांटा। जिसमें मैलिंगनेट ग्लियोमा, लिंफोमा, मेटास्टिक ट्यूमर और मेनिनजियोमा ट्यूमर शामिल थे।

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