मर्द बनने के चक्कर में होती हैं ये 10 गलतियां, फिर बीवी देती है गालियां

इसलिए अक्सर लोग हकीकत से पूरी तरह वाकिफ नहीं हो पाते और भ्रम के शिकार हो जाते हैं । इस बारे में  लोगों की जानकारियां अधूरी ही रह जाती हैं और ज्यादातर सुनी-सुनाई बातों पर आधारित होती हैं। अधकचरे सेक्स गाइड या विज्ञापनों से भी कोई फायदा नहीं मिलता। ऐसे में सेक्स पावर बढ़ाने के चक्कर में लोग गलतियां कर बैठते हैं।

Update: 2019-08-09 10:02 GMT

नई दिल्ली: भारत देश में सेक्स आज भी टैबू है अर्थात निषेध है, कहने का मतलब यह है कि इस विषय पर बात करना निषेध है । या यूं कह लीजिए कि इस विषय पर खुल कर बात नहीं कर सकते है । लेकिन अब जमाना बदल धीरे-धीरे बदलता दिखायी दे रहा है । ऐसा इसलिए है कि हमारा भारतीय समाज इसकी इजाजत नहीं देता, चूंकि सेक्स के टॉपिक पर खुलेआम बातें नहीं की जाती है ।

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इसलिए अक्सर लोग हकीकत से पूरी तरह वाकिफ नहीं हो पाते और भ्रम के शिकार हो जाते हैं । इस बारे में लोगों की जानकारियां अधूरी ही रह जाती हैं और ज्यादातर सुनी-सुनाई बातों पर आधारित होती हैं। अधकचरे सेक्स गाइड या विज्ञापनों से भी कोई फायदा नहीं मिलता। ऐसे में सेक्स पावर बढ़ाने के चक्कर में लोग गलतियां कर बैठते हैं।

ऐसी 10 गलतियों की लिस्ट यहां दी जा रही है..

बचपन की गलतियां दूर करने वाली दवाएं

ट्रेनों के भीतर और रेलवे लाइनों के इर्द-गिर्द अक्सर ऐसे विज्ञापन दिखते हैं, जिनमें 'बचपन की गलतियों' से पैदा हुई कमजोरी दूर करने के दावे किए जाते हैं। मेडिकल साइंस के मुताबिक, हस्तमैथुन से शारीरिक तौर पर कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। नुकसान केवल तब हो सकता है, जब कोई यह धारणा बना बैठे कि उसे हस्तमैथुन से नुकसान हो रहा है. दरअसल, नुकसान केवल गलतफहमी पालने से होता है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि अति तो हर चीज की बुरी होती है। यह बात यहां भी सटीक बैठती है।

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सेक्स की ताकत बढ़ाने के लिए बाजार में मौजूद कई तरह के तेल का इस्तेमाल

अक्सर ऐसे विज्ञापन नजर आ जाते हैं, जिसमें यह दावा किया जाता है कि अमुक तेल के इस्तेमाल से सेक्स की क्षमता में बढ़ोतरी होती है और सेक्स के दौरान भरपूर आनंद आता है। हकीकत यह है कि इस तरह के किसी तेल से कोई फायदा नहीं होता है। भ्रामक विज्ञापन देने वाली कंपनियों का बिजनेस तो खूब बढ़ता है। पर इसे इस्तेमाल करने वाले लोग खुद को ठगा महसूस करते हैं। सांडे का तेल सेक्स पावर बढ़ाने वाला माना जाता है। इस बात की सच्चाई साबित नहीं की जा सकी है।

टॉनिक की तरफ भी आकर्ष‍ित होकर लोग इस्तेमाल करने लगते हैं

कुकुरमुत्ते की तरह छाए टॉनिक के विज्ञापनों भी लोगों का ध्यान इस ओर खींचते हैं। यह कवायद भी बेकार साबित होती है। इन टॉनिकों के बारे में एक कहावत भी है, 'टॉनिक पीजिए और सुनहरा पेशाब कीजिए'।

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अश्लील किताबों और फिल्मों का जाल

कई बार लोग किसी के कहने पर अश्लील किताबें इस उम्मीद में पढ़ते हैं कि इससे कामोत्तेजना में बढ़ोतरी होती है। यह धारणा भी गलत है। दरअसल इस तरह की किताबें वासना भड़काती तो हैं, पर आगे चलकर नुकसानदेह ही साबित होती हैं।

अंडे से गरमाहट पैदा करने की कोशिश

कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि अंडे खाने से शरीर में गर्मी आती है, जिससे सेक्स के दौरान फायदा होता है। बादाम, अलसी, सोंठ आदि चीजें भी गर्म तासीर वाली मानी जाती हैं। पर यौन-संबंध के दौरान शायद ही इसका कोई फायदा मिलता हो।

खान-पान में परहेज की सलाह

पुरानी विद्याओं के मुताबिक यह माना जाता है कि खट्टी चीजें खाने से वीर्य पतला होता है और इससे काफी नुकसान होता है। सुनी-सुनाई बातों के आधार पर लोग कुछ चीजों से परहेज करते हैं। अचार, खटाई, गोलगप्पे आदि ऐसी की चीजों में शुमार हैं।

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शराब भी सेक्स के लिए खराब

रति-क्रिया के आनंद को बढ़ाने में शराब भी कोई मदद नहीं करती है। दरअसल, शराब क्षणिक उत्तेजना तो पैदा करती है, लेकिन बाद में लोगों को एकदम शिथिल बनाकर छोड़ती है। लंबे वक्त तक इसके सेवन से सेक्स की क्षमता बढ़ने के बदले धीरे-धीरे कम होने लगती है।

सड़कछाप दवाइयों और नुस्खों का सहारा

कई बार लोग सड़कों के किनारे तंबू लगाए बाबाओं की दुकानों से दवा खरीदते देखे जाते हैं. ऐसी दवाओं के नाम पर यहां कुछ जड़ी-बूटी आदि रखी होती है। लोग यह सोच नहीं पाते कि अगर इनकी दवाओं में सचमुच असर करने की ताकत होती, तो ये अपना माल बेचकर रातोंरात मालामाल न हो गए होते।

लिंग बढ़ाने वाले बाज़ार में उपलब्ध अन्य प्रोडक्ट

कई विज्ञापनों में खास तरह के यंत्र या सेक्स टॉय के बारे में ऐसा दावा किया जाता है कि इससे लिंग में बढ़ातरी होती है। ऐसा कोई भी प्रोडक्स फायदा नहीं पहुंचाता है। मेडिकल साइंस के मुताबिक लिंग की लंबाई ज्यादा या कम होने का सेक्स के आनंद से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बावजूद कुछ लोग लंबाई बढ़ाने की नाकाम कोशिश करते हैं।

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तंत्र-मंत्र या टोटकों का भी लिया जाता है सहारा

अंधविश्वास के शिकार लोग तंत्र-मंत्र और टोने-टोटकों का भी सहारा लेते हैं। कुछ जानवरों के अंग ताबीज बनाकर धारण करने की बात भी किताबों में पाई जाती है। कई बार लोग बाबाओं के चक्कर में पड़कर बुरी तरह ठगे जाते हैं और इनसे पिंड नहीं छूटने पर कंगाल तक हो जाते हैं।

सही इलाज क्या है ?

ऊपर जिन धारणाओं के बारे में जो बातें कही गयी हैं उनसे थोड़े बहुत फायदे ही हो सकते हैं या कुछ नुस्खे कभी-कभी काम भी आ जाते हैं ।

लेकिन कुल मिलाकर, फैसला आपके हाथ में है। मामला यह है कि अगर पाचन-शक्त‍ि दुरुस्त कर ली जाए, तो शरीर स्वाभाविक रूप से पुष्ट बन जाता है। इससे केवल सेक्स ही नहीं, बल्कि हर काम में लिए स्फूर्ति और बल मिलता है।

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