International Tea Day Special : क्यों व कैसे शुरू हुयी चाय की चुस्की, भारत की पैरवी पर बदलनी पड़ी तारीख
भारत की संस्कृति में दिन की शुरुआत छाज या दूध से होती थी जिससे भारतीय बौद्धिक और शारीरिक रूप से बलवान होता था;
चाय दिवस को मनाते लोग
International Tea Day Special: भारत की संस्कृति में दिन की शुरुआत छाज या दूध से होती थी जिससे भारतीय बौद्धिक और शारीरिक रूप से बलवान होता था परंतु भारत में ब्रिटिश राज्य के बाद अंग्रेजों ने धीरे-धीरे भारतीय लोगों को चाय की शुरुआत करा दी। आज 70% भारतीयों की दिनचर्या चाय की चुस्की के साथ शुरू होती है आइए जानते हैं चाय के गुण, महत्व,व अन्य काफी ज्ञानवर्धक या अन्य छुपे हुए रहस्यों के साथ चाय दिवस का इतिहास।
चाय के गुण
चाय की पत्ती के अंदर इस प्रकार का पदार्थ होता है जो पानी के उबलने के बाद आदमी में स्फूर्ति के साथ ताजगी का अनुभव होता है। आपने अक्सर सुना होगा भारत में चाय की पत्ती को किसी जड़ी बूटी से कम नहीं माना जाता है। सिर दर्द हो तो कड़क चाय, सर्दी खांसी हो तो अदरक की चाय, सुस्ती दूर करनी हो तो लेमन टी और करोना जैसी महामारी के वायरस को मारने के लिए मसाला चाय । आज भारत में लगभग 50-60 तरह की चाय का प्रचलन है। जिसमें से लेमन टी, मसाला चाय, अदरक चाय, कड़क चाय, कटिंग वाली चाय *आगरा की बटर चाय कलकत्ता की तिरंगी चाय * ज्यादा चलन में हैं । यह दोस्ती भी करती है तो सर फुटबोल भी करा देती है ।
चाय का महत्व
चाय के महत्व के बारे में आप इसी से ही समझ सकते हैं पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मुशर्रफ जी को आगरा के ताजमहल के साए में चाय पर चर्चा के लिए बुलाया था ताकि भारत और पाक के संबंध में सुधार हो सके| यह बात अलग है कि यह वार्ता बहुत सुखद नहीं हो सकी परंतु आज यही चाय है जो अनेक बिगड़े हुए संबंध व काम, नए रिश्ते को बनाती है और तो और चाय के स्टॉल पर सरकार तक बदल जाती है |यह टपोरियो का अड्डा है| प्रेमिका का सस्ते खर्च में इंतज़ार का स्थल। भैया लोगों छोटी छोटी जीत का जशन मनाने का पदार्थ हैं अपनी चाय।
भारत में चाय का अस्तित्व
हर 100 गज की दूरी पर आपको चाय की दुकान, रेडी, खोमचा ,स्टॉल, कैफ़े पर 5-8 तरह की चाय हमेशा उपलब्ध रहती है।अक्सर यह दुकाने सुबह 7:00 बजे से रात के 10:00 बजे तक खुली रहती हैं। हर शहर और गांव में 5-10 प्रसिद्ध चाय की स्टॉल होते है जहां पर आपको 20 -25 तरह की चाय मिलना आम बात होती है। पिछले 5 वर्ष से भारतवर्ष में चाय कैफे का प्रचलन शुरू हुआ है जहां पर विश्व में प्रचलित अनेक प्रकार की चाय को सर्व किया जाता है। जिस चाय की स्टॉल या कैफे का लोगों को चाय का स्वाद लग जाता है उन्हें उनके घर तक पहुंचाने में और प्रसिद्धि में होम डिलिवरी करने वाली कम्पनीज़ भी बहुत सहायक हो रही है।
चाय का राजनीति में दखल
चाय के किसी भी स्टॉल पर चाहे मजदूर हो ,चाहें रिक्शा चालक ,नौकरी पेशे वाले हो, व्यापारी हो ,पढ़ने वाले छात्र हो , या स्कॉलर हो यह सब के लिए एक विशेष अड्डा होता है |कॉलेज की राजनीति करनी हो वह भी यहीं पर तय होती है। मालिक के प्रति झंडा उठाना हो तो यही स्टॉल पर होता है। मौजूदा सरकार की काम के ऑडिट का यह एयर कंडीशन ऑफिस होता है। चाय की चुस्कीयों के साथ ऑडिट बैलेंस शीट पेश हो जाती है। यह तो बहुत छोटी सी बात है मौजूदा सरकार गिर जाती है और विपक्ष की सरकार बन जाती है या यूं कहिए विपक्ष और पक्ष दोनों को कोई गिराता है और कोई उठाता है अंत में यह कहकर चाय का प्याला रख दिया जाता है कि सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। हम लोग तो मजदूर हैं हमें तो अपनी दिन की रोजी रोटी की चिंता में ही खपना है । कहना गलत नही होगा यही चाय की कैंटीन भ्रष्टाचार का घर हैं।
चाय दिवस इतिहास
साल 2004 में मुंबई में व्यापार संघों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक हुई। उसमें अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का फैसला किया गया। पहली बार अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 15 दिसंबर, 2005 को मनाया गया था। चाय बागानों की मजदूरों की हालत व व्यापार को बढ़ाने के लिए 2005 से लेकर 2019 तक 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में बनाया जाता था ,परंतु भारत के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र ने 21 मई को अब अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में मान्यता दे दी है ।
चाय का भारत में जन्म
कहते हैं ब्रिटिश साम्राज्य में भारत में कुछ को कंपनियों द्वारा फ़्री में पिला कर इसकी शुरुआत हुई| भारत के असम में अंग्रेजों ने 1820 में पहली बार चाय की खेती शुरू की थी और उन्होंने ही यहां इसका चलन बढ़ाया। यूं तो चाइना के बाद सबसे ज्यादा चाय की खेती भारत में ही होती है,आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि आज पानी के बाद विश्व में सबसे ज्यादा चाय पी जाती है। इसके अलावा आज दुनिया भर में जितनी चाय पी जाती है, उसमें 75 परसेंट ब्लैक टी है।
चाय के फड़ फिर होंगे गुलजार
सभी चाय प्रेमियों को ,चाय हाउस को ,चाय क्लबों को ,और चाय की चर्चा करने वालों को हम प्रणाम करते हैं और आशा करते हैं 21 मई 2022को ना तो करोना का डर होगा ना अन्य प्रकार की महामारी होगी और हम लोग बड़े धूमधाम से चाय दिवस का आयोजन करेंगे। चाय दिवस के इतिहास की चर्चा और उसके महत्व की चर्चा करेंगे।