बढ़ती मानसिक महामारी पर राष्ट्रपति कोविंद ने जताई चिंता, जानिए क्यों बढ़ रहें मरीज

हाल ही में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने लोगों के गिरते हुए मानसिक महामारी पर चिंता जताई है। उनका कहना था कि देश में आज काफी हद तक मानसिक महामारी है।

Update: 2023-06-08 09:28 GMT

हाल ही में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने लोगों के गिरते हुए मानसिक महामारी पर चिंता जताई है। उनका कहना था कि देश में आज काफी हद तक मानसिक महामारी है। राम नाथ कोविंद ने कहा कि देश में शहरीकरण के साथ-सात मनोरोगी भी तेजी से बढ़े हैं। लेकिन समस्या ये नहीं है, समस्या ये है कि उनमें से 90 प्रतिशत लोगों को इलाज की सुविधा तक नहीं मिल पा रही है। राम नाथ के इस बयान को सरकार और विश्व संगठन के आंकड़ें भी तस्दीक करते हैं।

मानसिक महामारी की गंभीरता को देखते हुए और तबकों से पड़े दबाव के चलते सरकार 2017 में मानसिक रोगियों के इलाज और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए एक एक्ट लाई थी। लेकिन इस एक्ट को लाये हुए 2 साल हो गए हैं और 10 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने इस एक्ट पर अमल करना जरुरी नहीं समझा। इसके चलते वहां पर मानसिक रोगियों को उचित इलाज के साथ-साथ उनका हक भी नहीं मिल पर रहा है। ऐसा अनुमान है कि लगभग 14 प्रतिशत अबादी को मानसिक चिकित्सा कि जरुरत है पर संसाधन कम हैं।

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आखिर क्यों बढ़ रहे हैं मरीज-

इस मुद्दे पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व सेक्रेटरी डॉ. अनिल बंसल के कहना है कि रोजमर्रा की टेशन, भागदौड़, तनाव, और कॉम्पटीशन से देश में रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और खासकर की महानगरों में। उन्होंने बताया की देश में करीब 20 प्रतिशत अबादी आजकल डिप्रेशन के शिकार हो रही हैं, इसमें युवाओं की संख्या ज्यादा है। इसके साथ ही स्किजोफ्रीनिया और बायपोलर डिसऑर्डर के भी मरीजों में इजाफा हो रहा है। बढ़ते तनाव के कारण बच्चों औऱ युवाओं में भी आत्महत्या जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं।

एक्ट का क्यों नहीं हो रहा उल्लंघन-

एक्ट के अमल होने को लेकर डॉ. बंसल का कहना है कि हेल्थ राज्य का विषय है और ये राज्यों की मरीज राज्यों की मर्जी है कि वो कोई कानून लाए या नहीं। उनकी कहना है कि कई बार सरकारें राजनीतिक कारणों से भी केंद्रीय कानूनों को लोगों नहीं करती। उन्होंने कहा कि, इसके साथ ही जरुरत, संसाधनों की कमी, और लापरवाही भी इसकी वजह हो सकती है। बता दें कि इस एक्ट पर पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तराखण्ड, हिमाचल, अरुणाचल, नागालैंड और असम सहित 10 राज्य अमल नहीं कर रह हैं।

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एक्ट के अनुसार-

इस एक्ट के तहत सुसाइड के प्रयास को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है। इसके साथ ही एक्ट के अनुसार मानसिक रोगियों को इलाज पाने का अधिकार भी है। इस एक्ट में बोला गया है कि जो भी चिकित्सा संस्था सरकारी या सरकारी अनुदान पा रहे हैं उन्हें किसी भी मानसिक रोगी का ट्रीटमेंट करना होगा और वो इसके लिए मना नहीं कर सकते।

इसके अलावा मरीज को जरुरी दवाएं और अन्य सुविधाएं भी रियायती दरों पर देने का प्रावधान है। रोगी को जरुरत पड़ने पर भी किसी शुल्क के कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी। इसके साथ ही मरीज को अपने इलाज का रिकॉर्ड पाने के भी अधिकार हैं। अगर उसके इलाज में कोई भी कमी आती है तो उसको शिकायत करने का भी अधिकार है।

एक्ट के तहत मानसिक रोगियों का ख्याल रखने के लिए केन्द्र और राज्य स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य अथॉरिटी बनानी होगी। ये अथॉरिटी अपने क्षेत्र से जुड़े मरीजों के हर मुड़े पर नजर रखें। लेकिन सुत्रों के कहना है कि जो राज्य इस एक्ट का अमल कर रहे हैं वहां भी स्थिति कुछ खास नहीं है।

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