Nag Panchami 2023: क्या सांप दूध पीते हैं?

Nag Panchami 2023: विधाता ने सर्प (Nag Ko Doodh Kyo Pilaya Jata Hai) के पेट में दूध को पचाने वाले रसायन एंजाइम का निर्माण ही नहीं किया है । ना ही सांप अपने मुख से किसी तरल को पी सकता है ।

Update:2023-08-21 15:51 IST
Nag Panchami 2023 (photo: social media )

Nag Panchami 2023: आज नाग पंचमी है । ऐसी कथित मान्यता है सांप को दूध पिलाना आज पुण्य माना जाता है । लेकिन मुद्दा यह है क्या सांप दूध पीते हैं? हमारे देश में सर्प एकमात्र ऐसा सरीसृप जंतु है , जिसके बारे में लोगों को तथ्यात्मक कम कल्पनात्मक ज्ञान ज्यादा है। बात यदि सांप के दूध पीने की करें तो दूध सांप का प्राकृतिक आहार नहीं है । ना ही सर्प दूध पीते हैं । दरअसल, विधाता ने सर्प के पेट में दूध को पचाने वाले रसायन एंजाइम का निर्माण ही नहीं किया है । ना ही सांप अपने मुख से किसी तरल को पी सकता है । सर्प केवल अपने आहार को निगल सकता है। लेकिन करतब दिखाने वाले सपेरे सांप को दूध पिलाते हैं । लेकिन जबरदस्ती दूध सांप के लिए जहर है सांप का पाचन तंत्र उसे पचा नहीं पाता।

सांप धीमी मौत मरता है| नाग पंचमी से महीनों पहले सपेरे सांप को भूखा प्यासा छोड़ते हैं । दरअसल सांप पानी की पूर्ति अपने शिकार के शरीर से ही करता है। सांप के शरीर में पानी की कमी हो जाती है । नाग पंचमी के दिन सपेरे सांप के गले को दबाते हैं । जिससे उसकी स्वसन नली अर्थात ट्रेकिया दब जाती है । सांप के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है । सांप की जान पर बन आती है । दो-तीन मिनट बाद सपेरे सांप के गले की उस मांसपेशी को छोड़ देते हैं । सांप के मुंह को दूध में डुबो देते हैं ।

सांप सांस लेने का प्रयास करता है । ऐसे में दूध उसकी श्वसन नली में चला जाता है । इसमें से कुछ दूध उसके पेट तथा कुछ फेफड़ों में जाता है । जो गंभीर संक्रमण का कारण बनता है। सांप जंगलों खेतों में रहने वाला सरीसृप है । भला यदि वह दूध पीते तो परमात्मा उसके दूध की व्यवस्था जंगलों में करता है। और जंगलों में दूध देने वाले जंगली पशु सांप को अपने पास भी नहीं फटकने देते। ईश्वर ने जिस जंतु के लिए जो भोजन बनाया है । वह उसी आहार को ग्रहण करता है ।.जिस आहार को जंतुओं का शरीर पचा नहीं पाता । जंतु उसके पास भी नहीं फटकता हालांकि मनुष्य इसका अपवाद है।

सांपों के दूध पीने की घटना कोरा पाखंड सृष्टि के इस शानदार जंतु सांपों पर अत्याचार है।

( ये लेखक के निजी विचार हैं।)

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