Premanand Ji Maharaj: जानिए कैसे दोनों किडनी खराब होने पर भी प्रेमानंद जी महाराज रहते हैं पूरी तरह स्वस्थ
Premanand Ji Maharaj: अगर आप एक सफल जीवन की चाह रखते हैं तो आपको प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताई बातों पर गौर करना चाहिए। वहीँ आज हम आपको प्रेमानंद जी की दिनचर्या के बारे में बताने जा रहे हैं।
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज जी के प्रवचन और उनके द्वारा बताई गईं बातें लोगों को काफी प्रेरणादायक लगतीं हैं। उन्हें सुनने हर दिन हज़ारों लोग दूर दूर से आते हैं। वो राधा रानी के अनन्य भक्त हैं और सभी को उनकी भक्ति करने के लिए प्रेरित भी करते हैं। कहा जाता है कि महाराज जी के सत्संग को जो कोई ध्यान लगाकर पूरे श्रद्धा भाव से सुनता है उसे राधारानी के दर्शन ज़रूर होते हैं। प्रेमानंद जी द्वारा बताये गए मार्ग पर अगर मनुष्य आगे बढ़ता है तो वो सफल ज़रूर होता है। अगर आप भी एक सफल जीवन की चाह रखते हैं तो आपको महाराज जी द्वारा बताई बातों पर गौर करना चाहिए। वहीँ आज हम आपको प्रेमानंद जी की दिनचर्या के बारे में बताने जा रहे हैं।
प्रेमानंद जी महाराज दिनचर्या
महाराज जी की दोनों किडनी 17 सालों से कान नहीं कर रहीं। ऐसे में लोगों को ये बात काफी हैरत में डाल देती है कि आखिर महाराज जी को ये शक्ति कहाँ से मिल रही है। वहीँ महाराज जी की दिनचर्या की बात करें तो वो इसका काफी कड़ाई से पालन करते हैं। प्रेमानंद जी महाराज को पॉलीसिस्टिक किडनी नामक रोग है। जिसकी वजह से उनकी दोनों किडनी काम करना बंद कर चुकीं हैं। लेकिन इसके बाद भी वो स्वस्थ हैं जिसकी वजह या तो राधारानी जानतीं हैं या फिर महाराज जी स्वयं। लेकिन जिस चीज़ पर सभी ने गौर किया है वो है उनकी दिनचर्या जिसको लेकर महाराज जी काफी सतर्क रहते हैं और प्रतिदिन इसे वैसे ही निभाते हैं। वो सुबह 2 बजे से वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। ऐसे में कई लोग उनके दर्शन करने के लिए भी आते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज कुछ ही घंटे सोते हैं , वो सुबह 2 बजे उठ जाते हैं और फिर वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। इसके बाद वो सुबह ही 4:20 बजे से 5:20 तक लोगों के बीच आते हैं और सत्संग करते हैं। इसके बाद वो 5:30 से 6:30 बजे के बीच राधा नाम संकीर्तन भक्त नामावली करते हैं और इसके बाद 9:30 बजे शृंगार आरती करते हैं। उनकी ये दिनचर्या सालों से इसी तरह चली आ रही है। उन्हें आज से लगभग 17 साल पहले डॉक्टरों ने कह दिया था कि उनकी दोनों किडनी ख़राब है और उनके पास बस कुछ ही वक़्त बचा है। लेकिन महाराज जी ने ये सुनकर हार नहीं मानी और प्रभु भक्ति में अपना सर्वस्व दिया। बीच में अगर कभी ख़राब होती भी है तो भी वो बांके बिहारी जी के दर्शन और परिक्रमा जरुर करते हैं।