Stale food Side Effects: क्या बासी भोजन खाना होता है सुरक्षित? जाने क्या कहता है आयुर्वेद

Stale food Side Effects in Hindi: बासी भोजन दोबारा पकाए बिना भोजन करने का एक सुविधाजनक और किफायती तरीका हो सकता है। हालांकि, खाद्य जनित बीमारी के जोखिम से बचने के लिए बचे हुए भोजन को ठीक से स्टोर करना और दोबारा गर्म करना महत्वपूर्ण है।

Update:2023-04-25 16:50 IST
Stale food Side Effects in Hindi (Image credit: Newstrack )

Stale Food Side Effects in Hindi: बासी भोजन खाने योग्य होता है अथवा नहीं यह बहस बहुत पुरानी है। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में और किचन में तमाम इलेक्ट्रिक सामान जैसे फ्रिज, ओवन आदि के आ जाने से लोगों के लिए बासी भोजन का सेवन आसान और ज्यादा आम हो गया है। बहुत से लोग खाना फेंकने से बचने के लिए और बाद में जल्दी और आसानी से भोजन करने के विकल्प के लिए बचे हुए या बासी भोजन का सेवन करते हैं।

बासी भोजन दोबारा पकाए बिना भोजन करने का एक सुविधाजनक और किफायती तरीका हो सकता है। हालांकि, खाद्य जनित बीमारी के जोखिम से बचने के लिए बचे हुए भोजन को ठीक से स्टोर करना और दोबारा गर्म करना महत्वपूर्ण है।

कैसे खाएं बासी भोजन

बचे हुए खाने को स्टोर करते समय, इसे एक एयरटाइट कंटेनर में रखा जाना चाहिए और पकाने के बाद दो घंटे के भीतर फ्रिज में रखना चाहिए। यह बैक्टीरिया के विकास को रोकने में मदद करेगा और भोजन को अधिक समय तक ताज़ा रखेगा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ खाद्य पदार्थों को बचा हुआ नहीं रखना चाहिए, जैसे कि कच्चा या अधपका मांस, मछली और पोल्ट्री।

बचे हुए भोजन को दोबारा गर्म करते समय, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भोजन में पनपने वाले किसी भी बैक्टीरिया को मारने के लिए इसे अच्छी तरह से गर्म किया जाए। भोजन का सेवन करने से पहले उसे कम से कम 75°C (165°F) के तापमान पर गर्म किया जाना चाहिए। एक ही बचे हुए भोजन को बार-बार गर्म करने से बचना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे संदूषण का खतरा बढ़ सकता है।

संक्षेप में, बचा हुआ खान, भोजन के लिए एक सुविधाजनक और किफायती विकल्प हो सकता है, लेकिन खाद्य जनित बीमारी के जोखिम से बचने के लिए इसे ठीक से संभालना और संग्रहित करना महत्वपूर्ण है।

क्या कहता है आयुर्वेद

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन को औषधि माना जाता है और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इसकी गुणवत्ता और ताजगी आवश्यक है। बचा हुआ भोजन खाना हमेशा सुरक्षित नहीं हो सकता है, क्योंकि समय के साथ पोषण मूल्य और भोजन की गुणवत्ता बिगड़ सकती है। हालाँकि, आयुर्वेद बचे हुए खाने को पूरी तरह से मना नहीं करता है, लेकिन यह सही तरीके से भोजन को स्टोर करने और दोबारा गर्म करने के महत्व पर जोर देता है।

आयुर्वेद की सलाह है कि खाना पकाने के 24 घंटों के भीतर बचे हुए भोजन का सेवन कर लेना चाहिए, क्योंकि उस समय के बाद यह अपना पोषण मूल्य खोना शुरू कर सकता है और दूषित हो सकता है। यदि आपको बचे हुए भोजन को स्टोर करने की आवश्यकता है, तो इसे बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए एक एयरटाइट कंटेनर में 5°C (41°F) से कम तापमान पर रेफ्रिजरेट किया जाना चाहिए।

बचे हुए भोजन को दोबारा गर्म करते समय, आयुर्वेद यह सलाह देता है कि इसे धीरे-धीरे और अच्छी तरह से गर्म किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भोजन समान रूप से गर्म हो और हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं। यह भी सलाह दी जाती है कि भोजन को दोबारा गर्म करते समय उसमें थोड़ा पानी या घी मिला दें ताकि उसकी नमी बनी रहे और वह सूखने से बचा रहे।

संक्षेप में, आयुर्वेद बचे हुए भोजन के सेवन पर सख्ती से प्रतिबंध नहीं लगाता है, लेकिन यह भोजन के पोषण मूल्य को बनाए रखने और संदूषण के जोखिम को रोकने के लिए भोजन को सही तरीके से संग्रहीत करने और दोबारा गर्म करने के महत्व पर जोर देता है।

बासी भोजन खाने से हो सकती है परेशानी

आयुर्वेद के अनुसार बचा हुआ खाना खाने से कई तरह की स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती हैं। आयुर्वेद कहता है कि बासी भोजन खाने से अपच हो सकता है, पेट फूल सकता है और शरीर में दोष बढ़ सकते हैं। लंबे समय तक बचा हुआ खाना खाने से भी आंत की सेहत पर असर पड़ सकता है। यही नहीं गर्मी के मौसम में तो यह कई तरह की बिमारियों को दावत दे सकता है।

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