Cyber Terrorism Kya Hai: डिजिटल युग में आतंक का नया चेहरा, जानिए क्या है साइबर आतंकवाद के कारण और प्रभाव

Cyber Terrorism Kya Hai: साइबर आतंकवाद आधुनिक युग की सबसे खतरनाक चुनौतियों में से एक है। तकनीक जहां जीवन को सरल बनाती है, वहीं इसका गलत इस्तेमाल पूरे समाज को अस्त-व्यस्त कर सकता है।;

Update:2025-04-12 11:21 IST

What Is Cyber Terrorism Dangerous Effects 

What is Cyber Terrorism: 21वीं सदी को तकनीकी क्रांति की सदी कहा जा सकता है, जहां इंटरनेट,एआई, बिग डेटा और सोशल मीडिया ने मानव जीवन को नई दिशा दी है। लेकिन इन तकनीकी नवाचारों का एक अंधकारमय पहलू भी सामने आया है - साइबर आतंकवाद। आधुनिक आतंकवादी अब हथियारों की बजाय ‘कीबोर्ड’ और ‘कोड’ का इस्तेमाल कर रहे हैं। साइबर हमलों के ज़रिए बैंकिंग प्रणाली, सरकारी डेटा और राष्ट्रीय सुरक्षा तक को निशाना बनाया जा रहा है। यह खतरा अदृश्य होने के साथ-साथ सीमाओं से परे है, जिससे इसका पता लगाना और मुकाबला करना कठिन हो जाता है। भारत जैसे डिजिटल होते देश के लिए यह एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। इस लेख में हम साइबर आतंकवाद के प्रभाव, प्रकार और इससे निपटने की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।

साइबर आतंकवाद क्या है?(what is Cyber Terrorism)

साइबर आतंकवाद (Cyber Terrorism) एक ऐसी खतरनाक और जटिल प्रक्रिया है, जिसमें आतंकवादी समूह या व्यक्ति इंटरनेट और अन्य डिजिटल नेटवर्क का उपयोग करके किसी देश, संस्था या समाज पर हमला करते हैं। इसका उद्देश्य आमतौर पर समाज में आतंक फैलाना, वित्तीय नुकसान पहुँचाना, सरकारी कार्यों को बाधित करना या किसी अन्य राजनीतिक या सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति करना होता है। यह पारंपरिक आतंकवाद से अलग है, क्योंकि इसमें हथियारों की जगह साइबर तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

साइबर आतंकवाद के प्रकार(Types Of Cyber Terrorism)

हैकिंग (Hacking) - बिना अनुमति के किसी नेटवर्क या सिस्टम में घुसपैठ कर जानकारी चुराना या नष्ट करना।इसमें कंप्यूटर नेटवर्क या इंटरनेट आधारित सिस्टम्स को हैक करके उनका नियंत्रण प्राप्त करना या उनका संचालन बंद कर देना शामिल है। उदाहरण के लिए, सरकार की वेबसाइट को हैक कर उसे डाउन कर देना या बैंक के नेटवर्क पर हमला कर वित्तीय लेन-देन को बाधित करना।

डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस अटैक (DDoS Attack) - किसी वेबसाइट या सर्वर को भारी मात्रा में ट्रैफिक भेजकर उसे ठप कर देना।

मैलवेयर और वायरस अटैक - खतरनाक सॉफ्टवेयर के जरिए कंप्यूटर सिस्टम को संक्रमित कर सूचना चुराना या नुकसान पहुंचाना। इसमें वायरस, वर्म्स, ट्रोजन होर्स, रैंसमवेयर, आदि जैसे मैलवेयर का उपयोग कर किसी सिस्टम या नेटवर्क को संक्रमित किया जाता है। इसके माध्यम से साइबर आतंकवादी बड़ी मात्रा में डेटा चोरी करने, सिस्टम को नुकसान पहुँचाने या आर्थिक हानि करने की कोशिश करते हैं।

फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग - नकली वेबसाइट या ईमेल के जरिए लोगों की व्यक्तिगत जानकारी (जैसे बैंक डिटेल्स) चुराना।

डिजिटल प्रोपेगैंडा - सोशल मीडिया या वेबसाइट्स के जरिए फर्जी खबरें फैलाकर लोगों को भड़काना और सामाजिक अशांति फैलाना।

साइबर-फिजिकल हमले: यह ऐसे हमले होते हैं, जो साइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए, बिजली संयंत्रों, जल आपूर्ति प्रणालियों या परमाणु संयंत्रों पर साइबर हमले किए जा सकते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती है।

साइबर आतंकवाद के उद्देश्य(Objective of Cyber Terrorism)

सामाजिक भय फैलाना - साइबर आतंकवादी अपने हमलों से समाज में भय और अनिश्चितता पैदा करना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी सरकारी वेबसाइट को हैक कर लिया जाता है, तो यह लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि देश की सुरक्षा कमजोर है।

राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करना - साइबर हमलों के जरिए राजनीतिक विचारधाराओं को बढ़ावा देना और किसी विशेष सरकार या संगठन के खिलाफ जनमत तैयार करना एक महत्वपूर्ण उद्देश्य हो सकता है।

आर्थिक हानि - साइबर आतंकवादी कंपनियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निशाना बनाकर आर्थिक नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं। रैंसमवेयर के द्वारा महत्वपूर्ण डेटा को लॉक कर लिया जाता है, जिससे कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

सुरक्षा व्यवस्थाओं को कमजोर करना - साइबर आतंकवादी सुरक्षा प्रणालियों की कमजोरियों का फायदा उठाकर इन प्रणालियों को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने का प्रयास करते हैं, ताकि देश की सुरक्षा को खतरे में डाला जा सके।

साइबर आतंकवाद के खतरे(Dangers Of Cyber Terrorism)

राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव - साइबर हमलों से देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। महत्वपूर्ण सरकारी और सैन्य सिस्टमों पर हमला करके, साइबर आतंकवादी देश की रक्षा को कमजोर बना सकते हैं।

आर्थिक नुकसान - साइबर आतंकवाद से बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान हो सकता है। बड़े बैंकों, निगमों या सरकारी विभागों पर हमले से आर्थिक व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

सूचना सुरक्षा खतरे में डालना - व्यक्तिगत, गोपनीय और संवेदनशील जानकारी के चोरी होने से नागरिकों और संगठनों का विश्वास इंटरनेट और डिजिटल सिस्टम्स पर कमजोर हो सकता है। यह नुकसान वयक्तिक और सामूहिक दोनों स्तर पर हो सकता है।

सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता - साइबर आतंकवाद से समाज में अस्थिरता पैदा हो सकती है। यह राजनीतिक संघर्षों को और बढ़ा सकता है, साथ ही सरकारी नीतियों और सुरक्षा उपायों के खिलाफ लोगों का विश्वास घटा सकता है।

साइबर आतंकवाद के मुख्य साधन(Sources of Cyber Terrorism)

डार्क वेब - डार्क वेब वह इंटरनेट का हिस्सा है जहाँ आम उपयोगकर्ता नहीं पहुँच सकते। आतंकवादी संगठन यहां गुप्त रूप से हथियार, ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज़ और यहां तक कि साइबर एक्सपर्ट्स को भी हायर करते हैं।

क्रिप्टोकरेंसी - पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की निगरानी से बचने के लिए आतंकी संगठन बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके फंड्स का ट्रैक करना बेहद कठिन हो जाता है।

मैलवेयर और वायरस - आतंकी साइबर हमलों के लिए विशेष प्रकार के वायरस या ट्रोजन हॉर्स बनाते हैं, जिनके माध्यम से वे सिस्टम को हैंग या डैमेज कर सकते हैं।

फिशिंग अटैक - ईमेल या मैसेज के माध्यम से लोगों को झूठे लिंक भेजकर उनके डेटा या बैंकिंग डिटेल्स चुराई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल बाद में किसी हमले की योजना के लिए किया जा सकता है।

साइबर आतंकवाद के खतरनाक प्रभाव(Effects of Cyber Terrorism)

साइबर आतंकवाद का सबसे गंभीर प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ता है। जब सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं साइबर हमलों के जरिए लीक होती हैं, तो इससे देश की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हो सकती है और शत्रु राष्ट्र या आतंकवादी संगठनों को रणनीतिक लाभ मिल सकता है। इसके अलावा, आर्थिक तंत्र भी इन हमलों का एक बड़ा शिकार होता है। बैंकिंग सिस्टम, वित्तीय संस्थान और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन प्लेटफ़ॉर्म जब साइबर हमलों की चपेट में आते हैं, तो इससे करोड़ों का आर्थिक नुकसान होता है और निवेशकों का विश्वास डगमगा जाता है।

साइबर आतंकवाद का एक और खतरनाक पहलू है सामाजिक अस्थिरता। सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल मंचों के माध्यम से झूठी खबरें, अफवाहें और नफरत फैलाने वाली सामग्रियां वायरल की जाती हैं, जो साम्प्रदायिक तनाव, सामाजिक विद्वेष और यहां तक कि दंगे भड़काने का कारण बन सकती हैं। अंततः, ये हमले मानसिक भय और असुरक्षा का ऐसा माहौल पैदा कर देते हैं, जिसमें आम लोग डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते समय सशंकित और भयभीत रहते हैं। इंटरनेट पर किसी भी गतिविधि को करते समय उन्हें निजी डेटा की सुरक्षा, वित्तीय धोखाधड़ी और पहचान की चोरी जैसे खतरों का डर सताता रहता है।

भारत में साइबर आतंकवाद की स्थिति(Cyber Terrorism In India)

अक्टूबर 2016 में भारतीय बैंकिंग प्रणाली को एक गंभीर झटका तब लगा जब करीब 3.2 मिलियन (32 लाख) डेबिट कार्ड का डेटा लीक हो गया। यह भारत के इतिहास में सबसे बड़े बैंकिंग डेटा उल्लंघनों में से एक माना जाता है। इस घटना में एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, यस बैंक और एक्सिस बैंक जैसे देश के प्रमुख बैंक प्रभावित हुए। इस लीक के पीछे का कारण हिटाची पेमेंट सिस्टम्स के नेटवर्क में घुसे एक मैलवेयर को बताया गया।

इसके बाद 12 अक्टूबर 2020 को मुंबई में हुई अचानक और व्यापक बिजली कटौती ने पूरे देश को चौंका दिया। प्रारंभ में इसे एक तकनीकी गड़बड़ी माना गया, लेकिन महाराष्ट्र सरकार द्वारा की गई जांच में यह सामने आया कि यह एक सुनियोजित साइबर हमला था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में चीनी मैलवेयर का प्रयोग किया गया था, जिसने मुंबई की पावर ग्रिड को बाधित कर दिया।

इसके अलावा, भारत पर पाकिस्तान और चीन से जुड़े साइबर हमलों की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं। पाकिस्तान आधारित APT36 नामक साइबर ग्रुप 2016 से भारतीय रक्षा नेटवर्क पर फिशिंग हमलों में सक्रिय रहा है। इस ग्रुप ने भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़े कर्मचारियों को निशाना बनाकर संवेदनशील सूचनाएं चुराने की कोशिश की है। वहीं चीन और पाकिस्तान द्वारा भारतीय सैन्य और नागरिक संस्थानों पर ट्रोजन ईमेल, फिशिंग वेबसाइट्स और मालवेयर के माध्यम से निरंतर साइबर हमले किए गए हैं। सबसे हालिया उदाहरण जनवरी 2025 का है, जब राम मंदिर की वेबसाइट पर भी चीनी और पाकिस्तानी हैकरों द्वारा साइबर हमला करने की कोशिश की गई थी।

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका(Governments Initiative)

साइबर आतंकवाद से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं:

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (2013) - इस नीति का उद्देश्य साइबर स्पेस को सुरक्षित बनाना और डिजिटल संसाधनों की रक्षा करना है।

साइबर क्राइम को रोकने के लिए CERT-In (Computer Emergency Response Team-India) का गठन किया गया है, जो किसी भी साइबर खतरे पर तुरंत प्रतिक्रिया देता है।

नैटग्रिड(NATGRID) और आईबी (IB) जैसे खुफिया तंत्र - ये एजेंसियां आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखती हैं और संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी जुटाती हैं।

साइबर पुलिस स्टेशनों की स्थापना- अब कई राज्यों में विशेष साइबर थाने बनाए जा रहे हैं, जहां पर डिजिटल अपराधों से जुड़े मामलों की जांच की जाती है।

साइबर आतंकवाद से निपटने के उपाय(Pretension for Cyber Terrorism)

कानूनी ढांचा मजबूत करना - आईटी एक्ट (Information Technology Act, 2000) को और अधिक प्रभावशाली बनाना।

साइबर सुरक्षा एजेंसियों का विकास - CERT-In, NCIIPC, NTRO जैसी एजेंसियों को तकनीकी रूप से और सक्षम बनाना।

जन-जागरूकता - आम जनता को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करना।

इंटरनेशनल सहयोग - अन्य देशों के साथ मिलकर साइबर अपराधियों पर नजर रखना और सूचना साझा करना।

एथिकल हैकर्स की भूमिका - सुरक्षा तंत्र मजबूत करने के लिए एथिकल हैकर्स की भर्ती और प्रशिक्षण देना।

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