Sharad Pawar Political Career: पवार ने जब इंदिरा से बगावत कर छोड़ी कांग्रेस और महाराष्ट्र में सरकार बना बन गए मुख्यमंत्री

Sharad Pawar Political Career: 16 साल की उम्र में निकाला विरोध मार्च, 27 की उम्र में बन गए थे विधायक, 50 साल से भी अधिक समय से राजनीति में जमाए हुए हैं अपने पैर। तीन बार महाराष्ट्र के रह चुके हैं मुख्यमंत्री।

Update: 2023-05-02 18:21 GMT
Sharad Pawar Political Career. - Photo- Social Media

Sharad Pawar: शरद पवार भारत की राजनीति में बड़ा नाम है और बड़ा कद भी है। शरद पवार को यह नाम और कद ऐसे ही नहीं हासिल हुआ है। आज उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है उसके पीछे उनका संघर्ष और उनकी मेहनत है। इसी का नतीजा है कि शरद पवार आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति ही नहीं देश की राजनीति में भी पवार का बड़ा योगदान के साथ बड़ा नाम है।

16 की उम्र में निकाला था विरोध मार्च-

शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को पुणे के बारामती में हुआ। 1956 में 16 साल की उम्र में शरद पवार ने महाराष्ट्र के प्रवरनगर में गोवा की स्वतंत्रता के लिए एक विरोध मार्च निकाला था। इसी के साथ ही उन्होंने अपनी राजनीतिक की शुरुआत कर दी। उनके पिता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख नेता थे।

22 साल में बन गए थे पुणे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष-

1958 में शरद पवार यूथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पवार युवा कांग्रेस में शामिल होने के चार साल बाद 1962 में पुणे जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इसके बाद वह लगातार महाराष्ट्र युवा कांग्रेस में प्रमुख पदों पर रहे और उन्होंने धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी में अपनी जड़ें जमानी शुरू कर दी थी।

27 साल की उम्र में बन गए विधायक-

पवार को 1967 में 27 साल की उम्र में महाराष्ट्र के बारामती विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया। वह अपने पहले ही चुनाव में जीत कर विधानसभा पहुंचे। वह एक दशक तक बारामती से चुनाव जीतते रहे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंत राव चौहान को पवार का राजनीतिक गुरु माना जाता है।

राजनीति में उनकी बड़ी धाक है। उनकी धाक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे महाराष्ट्र के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। केंद्र में भी कई अहम पदों पर रह चुके शरद पवार ने मंगलवार को एनसीपी के नेशनल प्रेसिडेंट शरद पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। लेकिन यहां उन्होंने कहा कि वे राजनीति नहीं छोड़ रहे हैं।

50 साल से भी अधिक समय से राजनीति में जमाएं हैं पैर-

महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार की उम्र 82 साल हो चुकी है। वह 50 साल से भी अधिक समय से राजनीति में अपने पैर जमाए हुए हैं। वह तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह कई बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। वह केंद्र में रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री और उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। वह अभी राज्यसभा सांसद हैं और उनका तीन साल का कर्यकाल बचा हुआ है।

10 साल तक मनमोहन सरकार में मंत्री रहे-

वह दस साल से भी अधिक समय तक मुंबई क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह साल 2005 से 2008 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और 2010 से 2012 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के भी चीफ रह चुके हैं। वह 2004 से लेकर 2014 तक मनमोहन सरकार में कृषि मंत्री थे। वह रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें साल 2017 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।

जब इंदिरा से की बगावत-

शरद पवार ने इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी से बगावत कर ली और कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद शरद पवार ने 1978 के बाद जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाई और वह पहली बार 38 वर्ष की आयु में राज्य के मुख्यमंत्री बने। वह 1978 से 1980 तक मुख्यमंत्री रहे। जब 1980 में इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई तो उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त कर दिया। 1983 में शरद पवार ने कांग्रेस पार्टी सोशलिस्ट का गठन किया ताकि महाराष्ट्र की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाकर रख सकें। इसके बाद 1988 से 1991 तक और तीसरी बार 1993 से 1995 तक मुख्यमंत्री बने। 1983 में पवार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष बने और पहली बार बारामती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत कर संसद पहुंचे।

इन कार्यों का मिला श्रेय-

मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पवार को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की स्थापना समेत महाराष्ट्र में कई महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत करने का श्रेय दिया गया। वह मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे और बांद्रा-वर्ली सी लिंक सहित राज्य में कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण के लिए भी जिम्मेदार थे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिसके लिए वे जाने जाते हैं।

1999 में एनसीपी का किया गठन-

1998 के मध्यावधि लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार विपक्ष के नेता चुने गए, लेकिन 1999 में जब 12वीं लोकसभा भंग हुई तो पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गंधी पर सवाल उठाया और कांग्रेस से निष्कासन के बाद नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का गठन किया। एनसीपी बहुत ही जल्द भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण ताकत बन गई। वह कई राज्यों और राष्ट्रीय सरकारों में कांग्रेस और बीजेपी की प्रमुख सहयोगी रही है। एनसीपी ने 1999 के महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठजोड़ कर सरकार बनाई।

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