Manipur Election 2022: मणिपुर में मायने रखता है कैथोलिक वोट

Manipur Election 2022 : मणिपुर में 28.56 लाख की कुल आबादी का 41.29 प्रतिशत ईसाई हैं।

Report :  Neel Mani Lal
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-02-11 11:30 IST

मणिपुर चुनाव 2022 (फोटो-सोशल मीडिया)

 

Manipur Election 2022 : भले ही यूपी, पंजाब और उत्तराखंड में धर्म और जाति की राजनीति के मसले कुछ और हों लेकिन देश के कई हिस्सों में ईसाई, खासकर कैथोलिक वोट भी बहुत मायने रखता है। मणिपुर और गोवा चुनाव में इस वोट की ताकत साफ सामने है। मणिपुर में तो मतदान की तारीख इसी समुदाय की मांग के चलते बदलनी पड़ी है।

कुल आबादी का 41.29 प्रतिशत ईसाई हैं

मणिपुर में 28.56 लाख की कुल आबादी का 41.29 प्रतिशत ईसाई हैं। राज्य के नौ पहाड़ी जिलों - चुराचंदपुर, चंदेल, सेनापति, तामेंगलोंग, उखरुल, कामजोंग, नोनी, कांगपोकपी और फेरज़ावल - में 20 विधायकों का चुनाव होता है और इन जिलों की आबादी लगभग पूरी तरह से ईसाई है। मणिपुर में तो इन इलाकों में रविवार को पूर्ण बंदी रहती है और ट्रांसपोर्ट तक बन्द रहता है।

दरअसल, चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि मणिपुर में दो चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों में फेरबदल किया गया है और अब ये 28 फरवरी और 5 मार्च को होंगे। पहले 27 फरवरी और 3 मार्च को मतदान होना था।

बदलाव क्यों?

चुनावों के पुनर्निर्धारण का एक कारण कुछ ईसाई संगठनों द्वारा रविवार को चुनाव नहीं कराने की मांग थी। 27 फरवरी को रविवार है जब ईसाई प्रार्थना करने के लिए चर्च जाते हैं। सामाजिक समूहों के अलावा, विभिन्न दलों के राजनेताओं ने भी राज्य में चुनाव की तारीखों को टालने की मांग की थी। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने कहा था कि अगर तारीखों को टाला नहीं गया तो ईसाई बहुल इलाकों में मतदान प्रतिशत बहुत कम होगा।

पंजाब में तारीख बदल दी है

जनवरी में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मणिपुर पीसीसी के प्रवक्ता निंगोम्बम बुपेंडा मेइतेई (Ningombam Bupenda Meitei, National Vice President and Spokesperson of Manipur PCC) ने कहा था कि 'रविवार एक पवित्र दिन है क्योंकि ईसाइयों को अपने चर्च जाना है। हमने इस तारीख पर पुनर्विचार करने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। रविवार के अलावा कोई भी दिन ठीक है। उन्होंने पंजाब में तारीख बदल दी है। उम्मीद है कि वे हमारी भी तारीख बदल देंगे।' भारतीय जनता पार्टी के महासचिव देवेन लैंगपोकलाकपम ने भी कहा था कि हम चुनाव आयोग से इस पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध करेंगे।

नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के अध्यक्ष अवांगबौ न्यूमाई ने भी कहा था कि 'रविवार ईसाई समुदाय के लिए एक पवित्र दिन है और यह उनके लिए आराम और पूजा का दिन है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जो हर धर्म को समान रूप से मानता है। चुनाव आयोग कोई ईसाईयों के अधिकारों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।

पहले भी हुए हैं बदलाव

यह पहला मौका नहीं है जब चुनाव आयोग ने तारीखों में बदलाव किया है। 17 जनवरी को, रविदास जयंती समारोह को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने पंजाब चुनाव की तारीख 14 फरवरी से 20 फरवरी कर दी थी। राज्य सरकार और विभिन्न राजनीतिक दलों की मांग पर ऐसा किया गया था। अक्टूबर 2013 में चुनाव आयोग ने मिजोरम में नवंबर 2013 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कुछ तारीखों में बदलाव किया था।।अप्रैल 2014 में मिजोरम में फिर से एक उपचुनाव पुनर्निर्धारित किया गया था और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के चरण एक की तारीख मार्च 2012 में इसी तरह के कारणों से बदल दी गई थी, जिसमें मतदाताओं की धार्मिक मान्यताएं और तत्कालीन प्रचलित कानून व्यवस्था की स्थिति शामिल थी।

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