हाईकोर्ट ने आशियाना दुराचार पीड़िता को मुआवजा दिये जाने पर मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से आशियाना सामूहिक दुराचार पीड़िता को डेढ साल तक राजकीय बालिका बालगृह में रखे जाने के मामले में पूछा है कि पीड़िता को अब तक मुआवजा दिया गया अथवा नहीं।

Update: 2019-05-10 15:08 GMT

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से आशियाना सामूहिक दुराचार पीड़िता को डेढ साल तक राजकीय बालिका बालगृह में रखे जाने के मामले में पूछा है कि पीड़िता को अब तक मुआवजा दिया गया अथवा नहीं। कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने राज्य महिला आयोग को भी नोटिस जारी किया है।

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यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने 13 साल पूर्व इस मामले पर स्वतः संज्ञान द्वारा दर्ज पीआईएल पर शुक्रवार केा सुनवायी करते हुए पारित किया।

पीड़िता को मई 2005 से 8 दिसम्बर 2006 तक बालिका बालगृह, मोतीनगर में गैर कानूनी ढंग से रखने का आरोप है। पीड़िता के पिता ने कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर आरोप लगाया था कि राज्य महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. रंजना बाजपेई के आदेश पर उसकी बेटी को गैर कानूनी ढंग से मूल केस को प्रभावित करने के लिए, डेढ साल से अधिक समय तक बालगृह में रखा गया।

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हालांकि डॉ. रंजना बाजपेई ने आरोपों को इंकार करते हुए, जवाबी हलफनामा दिया था जिसमें कहा गया था कि पीड़िता एक गैर सरकारी संगठन के द्वारा लाई गई थी। उसके जान पर खतरा देखते हुए, उसके पिता की सहमति से उसे बालगृह में रखा गया था।

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