Avinash Kushwaha Ka Jeewan Paricahy: कोरोना काल में आंखों के सामने अपनों को मरता देखने की विवशता कभी नहीं भूल सकूंगा: अविनाश कुशवाहा
Avinash Kushwaha Ka Jeewan Paricahy: अविनाश कुशवाहा ने कहा कि पार्टी मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से वर्ष 2016 में हुई सीधी और सरल मुलाकात वह अपने जेहन में सदैव याद रखना चाहेंगे।
Avinash Kushwaha Ka Jeewan Paricahy: अचानक से छात्र जीवन से उठकर क्रय-विक्रय सहकारी समिति राबटर्सगंज के चेयरमैन और इसके बाद 2012 में राबटर्सगंज से सपा विधायक के रूप में प्रदेश की सियासत में मजबूत इंट्री करने वाले अविनाश कुशवाहा अपनी बेहतर कार्यशैली और व्यवहारकुशलता की बदौलत जनता के साथ ही पार्टी नेतृत्व की भी बेहतर पसंद बन चुके हैं। 2017 के चुनाव में मोदी लहर के चलते उन्हें भाजपा के भूपेश चौबे से हार जरूर सहनी पड़ी । लेकिन उन पर पार्टी नेतृत्व और यूथ की एक बड़ी संख्या का भरोसा अभी भी बना हुआ है।
थोड़े समय में ही पिछड़े वर्ग के प्रमुख युवा नेता के रूप में पहचान बनाने वाले अविनाश कुशवाहा विधानसभा चुनाव 2022 के समर को लेकर अभी से तैयारियां में जुट गए हैं। गांव-गांव बैठकें, लोगों से संपर्क का दौर भी शुरू कर दिया है। उनके इस व्यस्त शिड्यूल के बीच कुछ समय के लिए मिले फुर्सत के क्षणों में, न्यूज ट्रैक ने उनसे, उनके राजनीतिक सफर, उनकी जीवनशैली और मौजूदा समय के राजनीतिक परिदृश्य के प्रति उनकी सोच आदि मसलों पर खुलकर बात की, जिस पर उन्होंने कुछ इस तरह से अपनी बेबाक राय रखी...।
प्रश्न- आप राजनीति में नहीं आते तो क्या करते?
उत्तर- आपके इस सवाल ने मुझे पुराने दिनों की याद दिला दी है। जब मैं छात्र जीवन में था। तब मेरा राजनीति से दूर-दूर तक लेना-देना नहीं था। बचपन से चाहत थी कि आर्मी आफिसर बनें। देश के लिए कुछ करके दिखाएं। अपने इस सपने को उड़ान देने के लिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर स्कूल में होने वाली परेड का बतौर कैप्टन अगुवाई भी करता था। उसकी ललक को देखकर उसके सहपाठी और विद्यालय के लोग उन्हें मेजर के नाम से पुकारते थे।
सपने को मूर्तरूप देने के लिए एनडीए का इक्जाम भी दिया। लिखित टेस्ट पास भी कर लिया लेकिन पढ़ाई का हिंदी माध्यम होने और आर्थिक रूप से सबल न होने के कारण अच्छी तैयारी न होने के चलते आगे नहीं बढ़ पाया। इसी बीच छात्र जीवन की सक्रियता के आधार पर अचानक से क्रय-विक्रय सहकारी समिति राबटर्सगंज का चेयरमैन बनने का मौका मिला। यहीं से उनके कदम राजनीति की तरफ मुड़ गए।
प्रश्न- आपको खाने-पहनने में क्या पसंद है?
उत्तर - छात्र जीवन में शरीर पर आर्मी की खाकी वर्दी पहनने की ललक थी। राजनीति में आने के बाद तन पर खादी का पहनावा ही पहली पसंद बन गया है। थाली में घर का भोजन बचपन से पसंद रहा है। आज भी घर का सादा भोजन ही प्रिय है।
प्रश्न- राजनीति के अलावा आपका और किस काम में समय व्यतीत होता है?
उत्तर- राजनीतिक क्षेत्र के अलावा बचे समय का सदुपयोग व्यवसाय के लिए करते हैं। क्योंकि परिवार के पालन-पोषण के लिए उसकी जरूरत है।
प्रश्न- वर्तमान राजनीति में बदलाव चाहते हैं क्या? यदि हां, तो कैसा?
उत्तर- तरक्की की पहली सीढ़ी शिक्षा है। इसके लिए जिनता भी प्रयास हो, कम है। राजनीति में शिक्षित लोगों को बढ़ावा तो मिले ही, जनता के बीच भी शिक्षा को लेकर राजनीतिक प्रयास हों, इस पर गहनता से सेाचने और काम करने की जरूरत है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य लुभावने वायदों और लोगों के बीच समुदाय-जाति-पाति का जहर बोने का बन गया है। इसे खत्म करने और समाज के प्रत्येक तबके में समता और संपन्नता लाने के सिद्धांत पर अमल करने की जरूरत है। ताकि समाजवाद की अवधारणा को हम सभी मूर्तरूप दे सकें।
प्रश्न- जिंदगी का सबसे बेहतरीन क्षण जिसे याद करना चाहेंगे?
उत्तर- जी हां, पार्टी मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से वर्ष 2016 में हुई सीधी और सरल मुलाकात...। इसे वह अपने जेहन में सदैव याद रखना चाहेंगे।
प्रश्न -जिंदगी की ऐसी कोई घटना, जिसने आपको सबसे ज्यादा दुख पहुंचाया हो?
उत्तर - कोरोना की दूसरी लहर। मौत का एक ऐसा तांडव.., जिसके आगे सारे सरकारी इंतजाम फेल हो गए। अपनी आंखों के सामने अपनों को मरता देखने की विवशता.., लोगों की आंखों में अपनों को तिल-तिल कर मरने की तड़प.., एक ऐसा मंजर जो शायद ही कभी भूल पाए। उनकी ईश्वर से विनती है कि ऐसा दिन कभी न आए..।
प्रश्न- बच्चों को राजनीति में उतारना चाहेंगे?
उत्तर- जी नहीं। मेरे दो बेटे हैं। मेरी इच्छा है कि मेरा आर्मी अफसर बनने का जो सपना अधूरा रह गया है, बेटे उसे पूरा करें। इसी दिशा में उनकी शिक्षा-दीक्षा भी जारी है। मेरा एक बेटा वायुसेना में पायलट बनकर उड़ान भरना चाहता है तो दूसरा भी आर्मी अफसर के रूप में देश की सेवा करना चाहता है।
प्रश्न- विधायक निधि के बारे में आपकी राय क्या है? इसे भ्रष्टाचार का कारण मानते हैं या विकास के लिए जरूरी।
उत्तर- विधायक निधि के बजाय विधायक के प्रस्ताव पर जनता के लिए काम कराया जाए, यह बेहतर रहेगा। या फिर विधायक निधि की पूरी धनराशि लोगों के इलाज पर खर्च की जाए। क्योंकि यह एक कड़वी सच्चाई है कि आर्थिक तंगी के चलते एक बड़ी जनसंख्या बेहतर इलाज से दूर है। इसके चलते असमय कई गरीबों की जान चली जा रही है। विधायक निधि का इस रूप में इस्तेमाल निश्चित रूप से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे गरीब तबके के लोगों के लिए वरदान साबित होगा।
प्रश्न- पहले या किसी चुनाव की कोई घटना शेयर करना चाहेंगे?
उत्तर- कोई ऐसी विशेष बात नहीं है । लेकिन चुनाव के दौरान जिस तरह से वोट हासिल करने के लिए जाति और समुदायों के बीच नफरत का जहर बोकर उनके बीच दूरियां बढ़ाई जाती हैं। उसे बंद किया जाना चाहिए।
प्रश्न- फिर से विधायक बनने का मौका मिलता है तो जनता के लिए क्या करना चाहेंगे?
उत्तर- उनकी हमेशा से प्राथमिकता शिक्षा, चिकित्सा, सिंचाई और लोगों खासकर गरीबों और महिलाओं की सुरक्षा रही है। पिछले कार्यकाल में इस पर काम भी किया था। जनता उन पर विश्वास जताती है तो निश्चित रूप से इन प्रमुख मुद्दों पर बेहतर स्थिति बनाने का हरसंभव प्रयास करूँगा । ताकि जनता में शैक्षिक और आर्थिक दोनों उत्थान देखने को मिल सके।