OMG: बस में मिली MBBS की डिग्री से कर दिया 90 हजार लोगों का इलाज

12वीं पास मानसिंह पिछले पांच महीने से सीकर में तैनात था। इससे पहले उसने 9 साल तक आगरा में क्लीनिक चलाया। डॉक्टर इतना शातिर है कि वह कन्हैया केयर अस्पताल से हर महीने एक लाख रुपये का वेतन भी ले रहा था।

Update:2019-06-27 17:24 IST

जयपुर: अभी तक हम लोगों ने कई मामले सुने होंगे जिसमें डॉक्टर फर्जी दस्तावेजों के सहारे मरीजों से पैसा ऐंठने का काम करता है। लेकिन इन दिनों राजस्थान के फर्जी डॉक्टर का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को अंचभित कर दिया है। यहां एक डॉक्टर अपनी फर्जी डिग्री के सहारे लोगों का इलाज कर रहा है।

सीकर के निजी अस्पताल से पकड़े गए डॉक्टर का नाम मानसिंह बघेल है। डॉक्टर ने दावा किया है कि वो अब तक 90 हजार लोगों का इलाज कर चुका है। फर्जी डॉक्टर मानसिंह बघेल आगरा में खुद के क्लीनिक में बुखार, जुकाम और उल्टी-दस्त के ही मरीजों को ही देखता था। उसके दोनों भाई भी पास में ही मेडिकल की दुकान चलाते है।

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बता दें डॉक्टर इतना शातिर है कि वह कन्हैया केयर अस्पताल से हर महीने एक लाख रुपये का वेतन भी ले रहा था। बताया जा रहा है यह डॉक्टर दिनभर में करीब 25 मरीजों का इलाज करता था, केवल 12वीं पास मानसिंह पिछले पांच महीने से सीकर में तैनात था। इससे पहले उसने 9 साल तक आगरा में क्लीनिक चलाया।

मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल प्रबंधन को मरीजों के इलाज में लापरवाही सामने आने पर कुछ दिनों से उस पर शक था, अस्पताल में एक मरीज की हालत बिगड़ने के बाद अस्पताल प्रशासन की जांच में उसका राज खुल गया।

आरोपी का कहना है कि पांच साल पहले मथुरा जाते समय उसे बस में डॉक्टर मनोज कुमार की डिग्री पड़ी मिली थी। उसके अनुसार अपने बाकी फर्जी पहचान पत्र भी तैयार कर लिए थे। दवाईयों का ज्यादा ज्ञान न होने के कारण वह सीकर के अस्पताल में वह मरीजों को एक जैसी दवा ही देता था।

अपने इलाज के दौरान वह मरीजों को घरेलू नुस्खे आजमाने की बात कहता था। पिछले हफ्ते कन्हैया केयर अस्पताल में एक महिला दिल की बीमारी का इलाज कराने पहुंची तो इस फर्जी डॉक्टर ने महिला को ड्रिप चढ़ा दिया। महिला की तबीयत बिगड़ती देख उसे दूसरे अस्पताल में रेफर करना पड़ा।

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अस्पताल प्रशासन ने जब उसके पहचान पत्र की जांच की तो उसमें दूसरी पहचान मिली। मानसिंह मूल आगरा का रहने वाला है, असली डॉक्टर मनोज कुमार हरियाणा के पलवल जिले में सहारा अस्पताल है। अपनी डिग्री के नाम पर फर्जी तरीके से नौकरी करने की जानकारी मिलने पर वह हैरान होकर सीकर पहुंचा।

डॉक्टर मनोज कुमार ने बताया कि उनकी डिग्री साल 2005 में सफर के दौरान बस से चोरी गई थी। उन्होंने बताया की इस चोरी होने की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी।

सीकर की पुलिस अब इस बात की जांच करने में जुटी है कि अगर मनोज का बैग साल 2005 में चोरी हुआ था, तो मानसिंह को डिग्री पांच साल पहले ट्रेन में कैसे मिली?

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