हे भगवान! 18 साल से नहीं गूंजी इस गांव में किलकारियों की दास्तां, लोगों ने ढूंढी ऐसे खुशी
दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, अगर किसी भी माता-पिता से पूछेंगे कि उसकी असली खुशी क्या है तो बताएंगे उनकी संतान। अमीर से अमीर,और गरीब से गरीब संतान के बिना सब अधूरे हैं। लेकिन दुनिया में बहुत से लोग इस सुख वंचित है।
जापान: दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, अगर किसी भी माता-पिता से पूछेंगे कि उसकी असली खुशी क्या है तो बताएंगे उनकी संतान। अमीर से अमीर,और गरीब से गरीब संतान के बिना सब अधूरे हैं। लेकिन दुनिया में बहुत से लोग इस सुख वंचित है। हम तो आपको एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं जहां बच्चों की जगह पुतलों ने ले ली हैं। यह सुनकर भले ही हैरानी होगी। लेकिन जापान का ये एक गांव इसकी हकीकत बयां करता है।
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जापान के नोगोरो गांव को भूतों का गांव कहा जाता है। पहाड़ों पर बसे इस गांव में पिछले 18 सालों से एक भी बच्चा नहीं पैदा हुआ है। साल 2012 में जब से दो बच्चों ने कक्षा 6 की पढ़ाई पूरी की थी तभी से यहां का प्राइमरी स्कूल बंद है क्योंकि बच्चे हैं ही नहीं जो स्कूल जाएंगे। जानते हैं इस अजीबो गरीब गांव की दिलचस्प कहानी....
बच्चों की किलकारी से बेजान इस गांव की हंसी फीकी पड़ चुकी थी। लेकिन उम्मीदों पर ही दुनिया टिकी है। कुछ दिन पहले ही जापान के निवासी 70 साल की एक महिला सुकुमी आयानो ने इस गांव की हंसी को वापस लौटाने और इसे फिर से गुलजार बनाने का बेड़ा उठाया।
सुकुमी आयानो ने गांव की बच्चों की कमी की वजह से बंद हो चुकी प्राइमरी पाठशाला की रौनक को पुतलों के जरिए लौटाने की कोशिश की है। उन्होंने छोटे बच्चों के 40 से ज्यादा पुतले बनाकर गांव के इस स्कूल में रखे हैं।
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आयानो ने बताया कि इस गांव में किसी बच्चे का जन्म हुए एक लंबा अरसा हो चुका हैं। आयानो पिछले सात सालों से डॉल फेस्टिवल को बढ़ावा दे रही हैं। उनकी इच्छा है यहां ज्यादा से ज्यादा बच्चे दिखें, इसलिए जगह-जगह बच्चों के पुतले बनाकर लगा रही हैं।