चाय की जिस चुस्की के साथ करते हैं सुबह की शुरुआत, जानिए उसका रोचक इतिहास

सुबह की शुरुआत बेड टी से ना हो तो दिन अधूरा लगता है। हर सुबह रोज़ चाय की एक गरम प्याली बेहतरीन दिन के लिए जरूरी होता है। चाय एक ऐसी चीज़ है जो दुनिया में पानी के बाद सबसे ज़्यादा पि जाती है।

Update: 2020-08-09 14:24 GMT
चाय का आविष्कार

जयपुर : सुबह की शुरुआत बेड टी से ना हो तो दिन अधूरा लगता है। हर सुबह रोज़ चाय की एक गरम प्याली बेहतनी दिन के लिए जरूरी होता है। चाय एक ऐसी चीज़ है जो दुनिया में पानी के बाद सबसे ज़्यादा पि जाती है।

 

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चाय की शुरुआत यूनान

चाय कहां से शुरू हुई और कैसे इंडिया पहुंची।चाय सबसे पहले कहा से और किसने शुरू किया था इसको लेकर बहुत सारे कहानियाँ है। इतिहास में सबसे पहले शंग वंश के समय में चाय की शुरुआत यूनान नाम की एक जगह से हुई थी, लेकिन उस वक़्त ये सिर्फ एक मेडिकल थी।

 

प्रतीकात्मक

4 हज़ार साल पहले शुरुआत

एशिया में तो चाय की शुरुआत हो चुकी थी लेकिन यूरोप में 16 वीं सदी के बाद चाय की शुरुआत हुई थी। कुछ पुर्तगीज के व्यापारियों ने जब एशिया से अपने देश गए तो कुछ चाय पत्ती के सैम्पल्स को लेकर गये थे। चाय पत्ती का एक्सपोर्ट यूरोप में सबसे पहले डच के लोगों ने किया था। उस समय में चाय बहुत कम लोग पिया करते थे क्यों की चाय बहुत महँगी हुआ करती थी।

जब पुर्तगीज (Portuguese ) की राजकुमारी कैथरीन ऑफ़ ब्रगांजा (Catherine of Braganza) ने चार्ल्स-2 (Charles II) से जब शादी की तो चाय को बहुत सारे लोग पीना शुरू कर दिया। राजकुमारी को चाय ज़्यादा पसंद थी इसलिए उस ज़माने में चाय को पीना एक स्टेटस समझा जाता था।

लगभग 4 हज़ार साल पहले चीन के लोगों ने सबसे पहले चाय पीनी शुरू की गई थी। उसके बाद लगभग 300 साल पहले यूरोप में चाय पहुंची। फिर देखते ही देखते 18वीं सदी के दौरान चाय काफी मशहूर हो गई, खासकर उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों में। इस वक्त तक चीन अकेला दुनिया भर के लिए चाय उत्पादन करता और बेचता था। इस तरह चीन का चाय का व्यापार रहा ऊंचाइयों पर पहुंच गया।

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जब अंग्रेजों ने भारत पर शासन करना शुरू किया, तो उन्हें असम में चाय के कुछ पौधे मिले। उन्होंने उन पौधों की मदद से चाय बनानी शुरू की। असम की चाय का टेस्ट ज्यादा अच्छा है। धीरे-धीरे उन्होंने असम में अपना कृषि उत्पादन का व्यापार आगे बढ़ाया। फिर श्रीलंका, सुमात्रा, जावा जैसे देश भी चाय की खेती करनी शुरू कर दिए।

 

बाद में ये बात सामने आई कि चीन में उगने वाले चाय के पौधों की ऊंचाई एक मीटर से ज्यादा नहीं होती, जबकि भारत में चाय के पौधे 6 मीटर तक ऊँचे होते हैं। इसके बाद दुनिया में चाय के व्यापार में भारत आगे है। भारत में चाय पीने से सम्बंधित लिखित दस्तावेज़ 750 ईसा पूर्व का मिलता है।

चाय का रोचक किस्सा

किस्सा के अनुसार, एक बौद्ध सन्यासी ने लगभग दो हज़ार साल पहले सात साल तक बिना सोये तपस्या करने का निश्चय किया। जब उन्हें बिना सोये हुए पांच साल हो गए, उन्हें लगा कि अब नींद आ जाएगी, तो उन्होंने पास की झाड़ियों से कुछ पत्तियां लेकर चबा लीं। इससे उन्हें ऊर्जा मिली और नींद गायब हो गई। इसके बाद वो नींद लगने पर पतियों को चबाकर उसे भगा दिया करते थे। इस तरह से उनकी सात साल की तपस्या पूर्ण हुई। ये पत्तियां चाय की थीं।

 

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ऐसे बनती है चाय

छोटी पत्तियों और कलियों को चाय के पौधों से तोड़कर अलग किया जाता है। इसके लिए पौधे कि उम्र कम से कम तीन साल होनी चाहिए। ग्रीन और ब्लैक, दो तरह की चाय की पत्तियां पाई जाती हैं। इन पत्तियों को तोड़ने के बाद दबाया, सुखाया फिर पैक किया जाता है। ब्लैक टी तैयार करने के लिए पत्तियों को रोलर्स के बीच दबाकर किण्वन की प्रक्रिया के लिए रखा जाता है. इसके बाद फिर से उन्हें रोलर्स के बीच दबाया जाता है। फिर सूखने के लिए रखा जाता है। आखिर में इन पत्तियों को पैक करके अलग-अलग जगहों पर भेज दिया जाता है।

एक स्टडी में खुलासा

चाय उत्पादन वाले क्षेत्रों में लोगों को पेट के कैंसर से होने वाली मृत्यु दर, दूसरे स्थानों की तुलना में कम होती है। चाय शरीर में खून का थक्का नहीं जमने देती। ये कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने में मदद करने के साथ ही कैंसर को बढ़ावा देने वाले कारकों को भी कम करती है। चाय में प्राकृतिक फ्लोराइड पाया जाता है, जो दांत और हड्डियों को मेंटेन करता है। कुल मिलकर, चाय कॉफ़ी की तुलना में कहीं बेहतर होती है। दूसरे ड्रिंक्स की तुलना में चाय से आपको कई सारे फायदे मिलने के साथ ही, ज़ायके का लुत्फ़ भी मिलता है।

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