Mountain Man: एक और दशरथ मांझी- जवानी में शुरू किया पहाड़ काटना, बुढ़ापे तक बना दी सड़क
Mountain Man: द माउंटेन मेन के नाम से मशहूर दशरथ मांझी की कहानी को कौन नहीं जानता।;
हरिहर बेहरा (फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)
Mountain Man: द माउंटेन मेन के नाम से मशहूर दशरथ मांझी की कहानी को कौन नहीं जानता। जिसने अपनी पत्नी के लिए 30 किलोमीटर सड़क अकेले ही बना दी थी। दशरथ मांझी लगातार 22 सालों तक लग्न से अकेले ही लगे रहे। उनकी जीवनी पर बॉलीवुड में फिल्म भी बनी। दशरथ मांझी बिहार के गहलौर के निवासी थे। उनका जन्म 1929 में हुआ और मृत्यु 2007में हुई। हालांकि सरकार के किसी भी अधिकारी ने कभी भी उनके परिवार की सुध नहीं ली। जिसकी वजह से अभी भी उनके घरवालें सरकार से खफा हैं। इसके बाद अनेक राज्यों से ऐसे और भी दशरथ मांझी निकल कर आये। जिनकी कहानी भी दशरथ मांझी से प्रेरित थी।
हरिहर बेहरा- उड़ीसा के माउंटेन मैन
हरिहर बेहरा (फोटो सोशल मीडिया)
इस बार ये दशरथ मांझी उड़ीसा के नयागढ़ जिले के जो उड़ीसा की राजधानी से महज 85 किलोमीटर दूर हैं। इतने करीब होने के बाद सरकार सड़क योजना गांव तक लाने में विफल रही। इनका नाम हरिहर बेहरा है।इन्होंने अपने गांव तुलुबी तक सड़क बनाने के लिए 3 किलोमीटर पहाड़ काट डाले। दरअसल, ग्रामीणों ने आज से 30 साल पहले प्रशासन से पहाड़ी गाँव मे सड़क बनाने बक आग्रह किया था पर उस समय उनके इस अनुरोध को तब के तात्कालिक मंत्री ने खारिज़ कर दिया था और ये कह दिया था कि पहाड़ी इलाकों में सड़के बनाना सम्भव नही है। हालांकि यह सम्भव हुआ ।पर इसे पूरा होने में 30 साल लग गए।
30 सालों के निरंतर प्रयास का परिणाम
हरिहर बेहरा (फोटो सोशल मीडिया)
जब हर तरफ़ से हरिहर को ये लगने लगा कि प्रशासन उनक़ी मदद नहीं करेगा और यदि उन्हें किसी सड़क की जरूरत है तो वो उन्हें खुद ही बनानी पड़ेगी। फिर हरिहर और उसके भाई कृष्णा ने सड़क बनाने की ठानी और वे दोनों काम और उत्तर गए। हरिहर उस समय 26 साल वे थे ।30 साल से लगातार हरिहर और उनके भाई कृष्णा ने खेतों में काम करके लौटने के बाद बाकी समय हथौड़े से पहाड़ियों को काटने में बिताए।उन्होंने ने सड़क बनाकर ही दम लिया ।पर हरिहर ने इसी बीच अपने भाई कृष्णा को खो दिया। हरिहर बताते हैं कि की उनके पास गाँव से शहर जाने के लिए कोई सड़क नही थी।हरिहर ने कई बार प्रशासन से मांग की कुछ भी फायदा नही हुआ। हरिहर के रिश्तेदार जब गांव आते थे तो वे पहाड़ो में अक्सर रास्ता भूल जाया करते थे।किसी ने जब नही सुनी तो हरिहर और कृष्णा ने मिलकर 30 सालों में पहाड़ को काटकर सड़क बना दी।
ग्रामीणों की समस्या हुई हल
बाजार जाने से अलग हटकर घने जंगलों से गुजरना, उनके बच्चों के लिए लगातार जोखिम भरा रहता था। पहाड़ी इलाके में सघन जंगली क्षेत्र होने की वजह से इस इलाके में जहरीले सापों और जंगली जीवों के हमले की भी आशंका बनी रहती थी। हरिहर बेहरा का गांव, पूरी तरह से पहाड़ों से घिरा हुआ है। यही वजह है कि यहां पहुंचने का कोई साधन भी नहीं है।
ग्रामीणों ने भी दिया साथ
हरिहर बेहरा के द्वारा बनाई गई सड़क (फोटो सोशल मीडिया)
एक स्थानीय निवासी दीनबंद्धु ने कहा कि परिवार के लिए और मंत्री की चुनौती के बाद हरीहर अपने भाई के साथ पहाड़ों को काट कर रास्ता बना दिया। इसी काम को पूरा करने के लिए ग्रामीणों ने भी उनका सहयोग किया। पहाड़ी इलाके में गांव होने के कारण ग्रामवासियों को दिक्कतों का सामना कर शहर जाना पड़ता था। हमारे लिए आसानी से गांव से शहर जाना, एक सपने की तरह था। लेकिन अब सड़क बन जाने के बाद यह सपना सच हो गया है। अब पूरे जिले में हरिहर के इस काम की तारीफ हो रही है।
बच्चे भी जा सकेंगे स्कूल
हरिहर बेहरा (फोटो सोशल मीडिया)
अब एक फोल व्हीलर गाड़ी भी हरिहर से घर सीधे पहुंच सकती है। ग्रामीण पास के बाजार और हाटों तक कम ही वक्त में पहुंच सकते हैं। वहीं स्कूल जाने वाले बच्चों को अब पहाड़ियों के चारों ओर चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और पड़ोसी गांव में बने स्कूल में जाने के लिए उन्हें लंबी दूरी नहीं तय करनी होगी। सरकार और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर आज तक सिर्फ आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करते रहें हैं। पर किसी ने भी ग्रामीणों की पीड़ा नही समझी। और इसी वजह से हरिहर और ग्रामीणों को खुद ही इसका बीड़ा उठाना पड़ा। खेर यदि सरकार के भरोसे रहते तो शायद कभी सड़क ही नही बन पाती। आज सभी ग्रामीण इस बात से खुश है कि उनका सपना साकार हुआ है।