Odisha Municipal Election 2022 : ओडिशा निकाय चुनाव में मुस्लिम महिला ने रचा इतिहास

Odisha Municipal Election 2022 : ओडिशा के स्थानीय निकाय चुनाव में पहली बार कोई मुस्लिम महिला नगर पालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुई है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Bishwajeet Kumar
Update: 2022-03-29 09:06 GMT

ओडिशा निकाय चुनाव (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार सोशल मीडिया)

Odisha Municipal Election Result 2022 : नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) के बीजू जनता दल (Biju Janata Dal) ने ओडिशा में हाल ही में संपन्न निकाय चुनावों में भले ही बड़ी जीत हासिल की है लेकिन इसमें एक उल्लेखनीय बात ये रही है कि राज्य में स्थानीय निकाय के अध्यक्ष के रूप में पहली मुस्लिम महिला का निर्वाचन हुआ है।

ओडिशा के भद्रक शहर में इतिहास रचने वाले इस चुनाव की कहानी और भी उल्लेखनीय हो जाती है, जब इसमें एक 31 वर्षीय निर्दलीय उम्मीदवार ने सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार को हरा दिया। यह सीट इस साल परिसीमन प्रक्रिया के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित थी। भद्रक में इतिहास बनाने वाली महिला हैं गुलमाकी दलवजी (Gulmaki Dalvji), जिन्होंने बीजद (BJD) की समिता मिश्रा (Samita Mishra) को 3,256 मतों से हराया।

राजनीतिक परिवार से हैं हबीब

हबीब ने मैनेजमेंट की पढ़ाई की है और वह एक पेशेवर डेटा एंट्री ऑपरेटर हैं। वह अपनी जीत का श्रेय लोगों के विश्वास और भद्रक के विकास के पारस्परिक लक्ष्य को देती हैं। वह एक राजनीतिक नौसिखिया होने का दावा करती हैं, लेकिन एक राजनीतिक वंशावली वाले परिवार से आती हैं। उनके पति शेख जाहिद हबीब बीजद के जिला उपाध्यक्ष हैं। हबीब कहती हैं- मेरे चाचा-चाची पिछले 30 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। मेरे मामा पार्षद थे और मेरी मौसी कई साल पहले उपाध्यक्ष चुनी गई थीं। मैंने राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार में शादी की है।

31 वर्षीय हबीब शहर के पुराना बाजार क्षेत्र की निवासी रहने वाली हैं जिसमें नगर पालिका के 30 वार्डों में से आधे हैं। चुनावों से पहले पुराना बाजार निवासी को नामित करने की जोरदार मांग थी क्योंकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस क्षेत्र की उपेक्षा की जाती है और हर बार उसे भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है।

बीजद ने जब पुराना बाजार के किसी बाशिंदे को उम्मीदवार नहीं बनाया तो हबीब ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया। शहर की 1.21 लाख आबादी में से 40 फीसदी मुसलमान हैं। इसने अतीत में दो बड़े दंगे देखे हैं- एक 1991 में रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान और फिर 2017 में।

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